बता रहे हैं जनाब सैयद मुहम्मद मासूम साहब , अपनी ताज़ा पोस्ट में-
ऐ ईमानवालों तुम (रसूल को अपनी तरफ मुतावज्जे करना चाहो तो) रआना (हमारी रिआयत
कर) न कहा करो बल्कि उनज़ुरना (हम पर नज़रे तवज्जो रख) कहा करो और (जी लगाकर)
सुनते रहो और काफिरों के लिए दर्दनाक अज़ाब है
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और जब उनके पास खु़दा की तरफ से रसूल (मोहम्मद) आया और उस किताब (तौरेत) की
जो उनके पास है तसदीक़ भी करता है तो उन अहले किताब के एक गिरोह ने किताबे
खु़दा क...
1 comments:
बहुत सुन्दर...
पधारें "आँसुओं के मोती"
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