घायल करता मर्म को, प्रतिदिन का दुष्कर्म -Posted by रविकर
भड़की भारी भीड़ फिर, कब तक सहे अधर्म ।
घायल करता मर्म को, प्रतिदिन का दुष्कर्म ।
प्रतिदिन का दुष्कर्म, पेट गुडिया का फाड़े ।
दहले दिल्ली देश, दरिंदा दुष्ट दहाड़े ।
नहीं सुरक्षित दीख, देश की दिल्ली लड़की ।
माँ बेटी असहाय, पुन: चिंगारी भड़की ॥
प्रतिदिन का दुष्कर्म, पेट गुडिया का फाड़े ।
4 comments:
Thanks-
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २३ /४/१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २३ /४/१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
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शस्य श्यामला धरा बनाओ।
भूमि में पौधे उपजाओ!
अपनी प्यारी धरा बचाओ!
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पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!
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