रविश कुमार जी ‘बॉब्स अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार 2013‘ में चल रही गड़बड़ियों के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।
‘‘औरत की हक़ीक़त‘ को वोट देने के बाद भी वहां वोट दर्ज नहीं होता। इसमें आयोजकों की कोई साज़िश तो नहीं है ?‘‘
आज हमें अपने एक ब्लॉगर मित्र ने फ़ोन पर यह कहा तो हमें हैरत हुई कि
भी बदइंतेज़ामी का शिकार निकला।
हिन्दुस्तानी औरत का नसीब ही ऐसा है कि उसके बारे में आवाज़ उठाओ तो उसे देस में भी दबा दिया जाता है और बिदेस में भी।
ब्लॉग-चयन के लिए कुछ हिन्दी ब्लॉगर्स ने सीधे सीधे एंकर रविश कुमार जी को ज़िम्मेदार ठहरा दिया है। यह एक ग़लत बात है। रविश कुमार जी ने थोड़े ही ब्लॉग चुने हैं। ‘औरत की हक़ीक़त‘ ब्लॉग की वोटिंग ‘ज़ीरो‘ रहना इस बात का सुबूत है कि इन सारी अनियमितताओं के पीछे कुछ दूसरे छुटभय्ये लोग ज़िम्मेदार हैं। रविश कुमार जी इस तरह ग़ैर ज़िम्मेदारी से काम करते तो वह इतनी तरक्क़ी कैसे कर पाते ?
...लेकिन रविश कुमार जी को ऐसे ग़ैर-ज़िम्मेदारों का पता ज़रूर लगाना चाहिए, जिनकी वजह से उनका नाम ख़राब हो रहा है। लोग तो उन्हीं को जानते हैं, उनके नियुक्त किए हुए हैल्परों को थोड़े ही जानते हैं। हैल्पर उनकी हैल्प करने के बजाय उनकी छवि ख़राब कर रहे हैं।
यह एक दुखद बात है कि हिन्दी ब्लॉगर्स को ईनाम से नवाज़ने के लिए जर्मनी वालों ने हिन्दी के पुरोधाओं को ज़िम्मेदारी सौंपी और वे भ्रष्टाचार से या हल्के अल्फ़ाज़ में कहें तो ग़ैर ज़िम्मेदारी से बच न सके। हिन्दी को नुक्सान पहुंचाने वाले इसके अपने ही हैं। ‘बॉब्स अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार 2013‘ एक बार फिर इन्हें बेनक़ाब कर गया।
बहरहाल इस बहाने ‘औरत की हक़ीक़त‘ ब्लॉग बहुत पढ़ा गया। इसके लिए रविश जी और जर्मन आयोजकों (अंतरराष्ट्रीय ब्रॉ़डकॉस्टर डॉयचे वेले) का शुक्रिया।
हमारे एक अन्य ब्लॉग 'बुनियाद' पर भी रविश कुमार जी का और दूसरे पाठकों का स्वागत है।
इसके अलावा हमारे कुछ अन्य ब्लॉग यह हैं-
MY BLOGS
इनके अलावा भी हमारे कुछ दूसरे ब्लॉग हैं। उनके लिंक फिर कभी शेयर किए जाएंगे।
इस आयोजन में दूसरे उम्दा ब्लॉग के साथ ‘हलाल मीट‘ भी चुना गया। इस ब्लॉग का कन्टेंट कितना भी उम्दा क्यों न हो लेकिन इसका चुनाव ग़लत श्रेणी में किया गया है। यह भी ईनाम वितरकों के नियुक्त किए हुए छुटभय्यों की कारस्तानी है।
वे समझते हैं कि जर्मनी के आयोजकों से हमारी कारस्तानी की शिकायत कौन करेगा ?
...और कोई कर भी देगा तो वे मानेंगे ही नहीं लेकिन ऐसा नहीं है। जर्मनी वाले बदनाम होना और अपनी विश्वसनीयता खोना क्यों चाहेंगे ?
source: http://auratkihaqiqat.blogspot.in/2013/04/2013.html
1 comments:
@ इन सारी अनियमितताओं के पीछे कुछ दूसरे छुटभय्ये लोग ज़िम्मेदार हैं।
उन छुटभय्ये व रवीश जी के हैलपरों का मय नाम उजागर करते तो 'ब्लॉग की ख़बरें'का कुछ औचित्य प्रमाणित हो जाता.
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