दो दर्जन सेकड़ा पोस्टें पूरी
दोस्तों  आपके आशीर्वाद ,आपके सहयोग आपके दिए गये होसले से कल मेरी दो दर्जन सेकड़ा  यानी २४०० पोस्टें पूरी हो गयी हें और होली   के रंगा रंग माहोल में जब  मेरी यह पोस्टें पूरी हुईं तो मेरे एक मित्र ने मुझे फोन  पर बधाई दी तब  मुझे पता चला के मेरी पोस्टे २४०० हो गयी हें .
दोस्तों  पोस्टें लिखना पोस्टों की संख्या तक पहुंचना कोई बढ़ी बात नहीं हे लेकिन  इन दिनों मुझे ब्लोगिंग  की दुनिया में बहुत  कुछ देखने बहुत कुछ सीखने को  मिला यहाँ मामूली से अपवादों को अगर छोड़ दिया जाये तो चारों तरफ प्यार की  खुशबु प्यार की महक अपनापन और मदद का माहोल हे इस प्यार के माहोल को देख कर  बस यहाँ से जाने को दिल ही नहीं करता हे . मेरी पहली पोस्ट ७ मार्च २०१०  को जब लिखने की कोशिश की गयी तब मुझे नहीं लगा था के इस ब्लोगिंग की दुनिया  में मुझे मेरे भाइयों का इतना प्यार इतना सम्मान मिलेगा लेकिन जहां  अच्छे  लोग होते हें वहां अपनापन होता हे टोका टाकी होती हे गलतियाँ और भूलें  होती हें जिन्हें हमारे अपने ही इशारा करके सुधरवाने का प्रयास करते हें कई  तो ऐसे होते हें के वोह बिना कहे भूल और गलतियों को सुधार देते हें और  शायद ब्लोगिंग की इस दुनिया का में पहला ऐसा खुशनसीब ब्लोगर हूँ जिसे सभी  साथियों का बढों का छोटों का बहनों का प्यार मिला हे अपनापन मिला हे  टिप्पणियाँ चाहे गिनती की मिली हों लेकिन जो भी मिली हे दिल से मिली हे  केवल संख्या बढाने के लियें टिप्पणी अगर ले भी लो तो वोह बेकार हें लेकिन  मेरे पास जो टिप्पणियाँ आई हें वोह अनमोल हें , मुझे हर कदम पर मेरे अपनों  का मार्गदर्शन प्यार और अपनापन मिला हे और इसी लियें इस काँटों भरी राह को  मेने सबसे तेज़ स्पीड ब्लोगर की गाडी चला कर बिना किसी दुर्घटना के पार की  हे मेरे साथी ,मेरे भाई ,मेरी बहने सभी तो हें जो चाहते हें के में एक  अच्छा ब्लोगर बनू और इसीलियें वक्त बा वक्त मुझे सभी के सुझाव सभी की तकनीक  सीखने को मिली हालांकि कुछ ऐसे भी हें जिन्होंने मेरे ब्लॉग को पलट कर भी  नहीं देखा ऐसा साबित करने का प्रयास किया हे लेकिन शुक्र हे खुदा का  उन्होंने भी मुझे कमसेकम अपनेपन से  तो दूर नहीं किया वोह मेरे ब्लॉग के  प्रशंसक नहीं टिप्पणीकार नहीं लेकिन रीडर तो रहे हें और मुझे इसीलियें गर्व  हे के में इस ब्लोगिंग की दुनिया का २४०० पोस्ट लिखने के मुकाम पर पहुंचने  वाला ब्लोगर हूँ और इस ब्लोगिंग की दुनिया का सदस्य हूँ जहां प्यार और  अपनेपन की छटा बिखरी पढ़ी हे में ब्लोगिंग की इस दुनिया का कर्जदार था  कर्जदार हूँ और कर्जदार रहूंगा शुक्रिया महरबानी  ..........................में तो अकेला ही चला था  जानिबे मंजिल , लोग  बढ़ते गये और कारवां बनता गया बस  यह कारवां बना रहे यह प्यार यह आशीर्वाद  बना रहे इसी दुआ इसी उम्मीद के साथ आपका नोसिखियाँ सबसे ज़्यादा गलतियाँ  करने वाला ब्लोगर ................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
5 comments:
आपका योगदान सराहनीय है
"आकाश कुमार" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ .
मैं अपने ब्लॉग में मिश्रित कंटेंट रखूँगा जो आपके घर में पढ़ रहे बचों के लिए भी सहायता प्रदान करेगी.. आई टी सेक्टर जे जुड़े सवाल भी सोल्व करूँगा.. हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com
आप अकेले हैं औ आपकी बात भी अकेली है. अकेली बात निराली हुआ करती है .
आपने खुद इतनी टिप्पणियाँ न की होंगी जितनी पोस्टें ब्लॉगजगत के गले में हार की तरह डालदी हैं .
हिन्दू भाई मुझसे कहते हैं कि आप हमारे अन्दर कमियाँ निकालते हो इसलिए हम आपको अपने कमेन्ट नहीं देते लेकिन आप तो उनमें कमियाँ भी नहीं निकलते , फिर आपको वे कमेन्ट क्यों नहीं देते ?
आपके लेखन ने इस ब्लॉगजगत में व्याप्त गुटबाज़ी और सांप्रदायिक मानसिकता को सबके सामने ला खड़ा किया है ,
एक मुसलमान चाहे कितना ही साफ सुथरा और रचनात्मक क्यों न लिखे , उसे ये सांप्रदायिक हिन्दू ब्लॉगर्स उसका वाजिब सम्मान नहीं देंगे .
ये लोग केवल उसी मुसलमान ब्लौगर को सम्मान देते हैं जो इस्लाम में कमियाँ निकालता है.
फिरदौस जी इसकी जीती जागती मिसाल हैं.
वे जब इस्लाम के खिलाफ लिखती थीं तो सारे सांप्रदायिक आस्तिक नास्तिक वाह वाह करने पहुँच जाते थे जिनमें आपको कोटा वाले एक काले कोट वाले बूढ़े वकील भी नज़र आयेंगे और जब उन्होंने भारत के सपेरों की या किसी और फनकार की समस्या पर लिखा तो २० टिप्पणिया भी मिलनी मुश्किल हो गयीं.
ये लोग मुसलमान को मुसलमान से लड़ाने के लिए शुरू में कुछ दिन साथ देते हैं लेकिन जब देखते हैं कि दाल नहीं गल रही है तो फिर भाग जाते हैं. मेरे साथ यही हुआ , आपके साथ भी यही हुआ होगा.
लेकिन हिन्दुओं में प्यार की कमी नहीं है , बहुत दिल ऐसे हैं जो बड़े हैं और प्यार से लबालब भरे हैं . ऐसा एक दिल भी मिल जाये तो बहुत है और यहाँ तो भरमार है., वे मुझे पढ़ते भी हैं और फोन पर या चैट पर सराहते भी हैं लेकिन कुछ मजबूरियों की वजह से टिप्पणी नहीं दे पाते . 'एक चुप सौ को हरावे' कहावत मशहूर है , मेरे खामोश पाठक ही मेरी ताक़त है और आपको भी लोग खामोशी से पढ़ते होंगे.
लेखक को रीडर्स चाहियें और वे मिल ही जाते हैं .
टिप्पणी का अचार डालना है क्या ?
आपको एक नया कीर्तिमान बनाने के लिए मुबारकबाद.
मालिक आपका और आपकी बेगम का जोड़ा मय बच्चों के सलामत रखे और सबको ब्लॉगर बनाए .
आमीन.
आप अकेले हैं औ आपकी बात भी अकेली है. अकेली बात निराली हुआ करती है
Kya baat hai. Bahut Bahut Mubarak!
Kya baat hai. Bahut Bhaut Mubarak!
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