इसे अमानवीय लापरवाही के अलावा क्या कहेंगे कि कोयला खदानों के अंदर लगी भूमिगत आग रेलवे लाइन तक पहुँच चुकी है लेकिन प्रबंधन को इससे कोई खतरा नहीं महसूस हो रहा है. किसी भी दिन यहाँ कोई बड़ा हादसा हो जाये तो इसकी जिम्म्मेवारी आखिर कौन लेगा. पढ़िए पूरी रिपोर्ट.
सुनो..पत्थरों के भीतर नदी बहती है ( काव्य संग्रह ) "आमजन के दिल तक पहुंचती
रचनाएं"
-
ऐसा देश है मेरा/ पुस्तक चर्चा.........794
सुनो..पत्थरों के भीतर नदी बहती है ( काव्य संग्रह )
"आमजन के दिल तक पहुंचती रचनाएं"
****************************...
0 comments:
Post a Comment