ये टीम अन्ना तो हाथ धोकर भ्रष्टाचार के पीछे पड़ गयी है. लगता है कि इसका नामो-निशान ही मिटाकर दम लेगी. कोई उन्हें समझाए कि भ्रष्टाचार हर किसी के वश की बात नहीं है. यह भी एक कला है जिसे लंबी साधना के बाद हासिल किया जाता है. कुछ लोगों ने तो अपना पूरा जीवन ही इसकी साधना में होम कर दिया है. अब जीवन के इस मुकाम पर आकर वे इसे छोड़ दें...यह उचित है..?
कोटा मेला , मेला नहीं रहा , मटमैला हो गया ,, आयोजकों का मन साफ़ नहीं मेला ही
हो गया इसीलिए मेला , मेला नहीं रहा सच में मेला हो गया
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कोटा मेला , मेला नहीं रहा , मटमैला हो गया ,, आयोजकों का मन साफ़ नहीं मेला ही
हो गया इसीलिए मेला , मेला नहीं रहा सच में मेला हो गया ,
कोटा 18 अक्टूबर कोटा...
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