(सरकार कुछ देना चाहे और नागरिक आपसी मतभेद के कारण उसे ले नहीं पायें तो दोष किसका..?...कुछ ऐसी ही कहानी है झारखंड के चर्चित कोयलांचल धनबाद के बाघमारा प्रखंड के अनुमंडल निर्माण की. लम्बे आंदोलन के बाद सरकार राजी हुई तो दो उपनगरों के बीच मुख्यालय के स्थल चयन को लेकर ठन गयी....इस प्रकरण पर शंकर साव की रिपोर्ट...
वह वही तो है जो तुम्हें डराने और लालच देने के वास्ते बिजली की चमक दिखाता है
और पानी से भरे बोझल बादलों को पैदा करता है
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उसके नज़दीक) सब बराबर हैं (आदमी किसी हालत में हो मगर) उस अकेले के लिए उसके
आगे उसके पीछे उसके निगेहबान (फ़रिश्ते) मुक़र्रर हैं कि उसको हुक्म ख़ुदा से
हिफ...
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