"यह ग़ददारी के बजाय भूल भी तो हो सकती है, सब की न सही लेकिन कुछ की तरफ़ से तो यह वास्तव में ही भूल है."
डा. दिव्या श्रीवास्तव जी की पोस्ट से पता चला कि वे किन्हीं अनुराग शर्मा जी के लेख से आहत होकर ब्लॉगिंग छोड  रही हैं।
हमें जिज्ञासा हुई कि भई ऐसा कौन सा ब्लॉगर है जो लोहे को भी पिघला सकता है ?
गूगल की मदद भी ली लेकिन कुछ पता न चला।आज डा. दराल साहब की ताज़ा पोस्ट पर उनका कमेंट देखा।
http://tsdaral.blogspot.com/2011/09/blog-post_20.html
बस फिर क्या था, हमने उस कमेंट की दुम ऐसे पकड  ली जैसे वैतरणी पार करने  वाले गय्या की दुम थामने की सोचते हैं। पीछा करते करते पूरे ४-५ ब्लॉग देख  डाले, तब जाकर वह यादगार पोस्ट नज र आई।
पोस्ट तो ख़ैर अपनी जगह लेकिन वहां कुछ  विशिष्ट लोगों के कमेंट भी नज र आए। वहां ऐसे लोग भी नज र आए जो डा.  दिव्या जी के भाई बहन होने का आभास देते आ रहे हैं।
हमें लगता है कि पोस्ट ने उन्हें आहत  नहीं किया बल्कि अपने भाई बहनों को वहां अपने विरोधी के साथ 'ठठ्ठे मारते  देखना' वह सहन नहीं कर पाईं।
आप भी देखिए वह मशहूर पोस्ट और उस पर भाई-बहनों के कमेंट्स।
बड़ी मुश्किल से लाया हूं आपके लिए
आप भी देखिए वह मशहूर पोस्ट और उस पर भाई-बहनों के कमेंट्स।
बड़ी मुश्किल से लाया हूं आपके लिए

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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