सूफ़ियों ने विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया अंक-1
सूफ़ी शब्द का अर्थ
धार्मिक सहिष्णुता और उदारता आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता रही है। मध्यकालीन भारत में मुसलमानों के आगमन से और खासकर दिल्ली सलतनत की स्थापना के साथ-साथ हिन्दू और इसलाम धर्म के बीच गहन संपर्क हुआ। इस दीर्घकालीन संपर्क ने दोनों धर्मों के अनुयाइयों को न सिर्फ़ परस्पर प्रभावित किया, बल्कि उनके बीच धारणाओं, धार्मिक विचारों और प्रथाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान भी हुआ। भक्ति और प्रेम की भावना पर आधारित जिस पंथ ने इसलाम धर्म में लोकप्रियता प्राप्त की उसे सूफ़ी पंथ कहते हैं। सूफ़ी संप्रदाय का उदय इसलाम के उदय के साथ ही हुआ, किन्तु एक आन्दोलन के रूप में इसलाम की नीतिगत ढांचे के तहत इसे मध्य काल में बहुत लोकप्रियता मिली। सूफ़ी फ़क़ीरों ने अपने प्रेमाख्यानों द्वारा हिन्दू-मुस्लिम हृदय के अजनबीपन को मनोवैज्ञानिक ढंग से दूर किया और साथ-साथ खण्डनात्मकता के स्थान पर दोनों संस्कृतियों का सुन्दर सामंजस्य प्रस्तुत किया। सूफी चिंतन वस्तुतः उस सत्य का उदघाटन है जिसमें जीवात्मा और परमात्मा की अंतरंगता के अनेक रहस्य गुम्फित हैं।- मनोज कुमार
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