(पूर्वोत्तर की भगदड़ पर)
ये भगदड़ मचाई है जिस भी किसी नेउसे ये पता हैकि तुम उसकी गर्दन नहीं नाप सकतेकि अब तुममे पहली सी कुव्वत नहीं हैकभी हाथ इतने थे लंबे तुम्हारेकि उड़ते परिंदों के पर गिन रहे थेकोई सात पर्दों में चाहे छुपा होपकड़ कर दिखाते थेपिंजड़े का रस्तामगर अब वो दमखमकहीं भी नहीं हैकि अब आस्मां क्याज़मीं तकतुम्हारी पकड़ में नहीं है.....
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कोटा की धरती पर पत्रकारिता में प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मिडिया में
अपनी जीवंत पत्रकारिता साबित करके दिखाने वाले, भाई प्रणय विजय को उनके जन्म
दिन पर ढेरों बधाइयां, मुबारकबाद, भाई प्रणय विजय ने तो कमाल ही कर दिया ,
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कोटा की धरती पर पत्रकारिता में प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मिडिया में
अपनी जीवंत पत्रकारिता साबित करके दिखाने वाले, भाई प्रणय विजय को उनके जन्म
दिन प...
2 comments:
जी हाँ "हाथ " के तोते उड़े हुएँ हैं ......बाज़ जाने किस तरह हमको ये बतलाता रहा ,क्यों परिंदों के दिलों से उसका डर जाता रहा ...
ram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
बाज़ जाने किस तरह हमसे ये बतलाता रहा ,
क्यों परिदों के दिलों से ,उसका डर जाता रहा .देवेन्द्र गौतम जी बहुत अच्छी प्रस्तुति .पाप का एक दिन घडा भरता ही है ...
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