आदरणीय डा. अरविन्द मिश्रा जी का यह कथन हिंदी ब्लॉगर्स के दरम्यान चल रही एक लंबी और आलिमाना बहस का हिस्सा है, जिसे देखा जा सकता है निम्न पोस्ट पर
समाज की कुलदेविया गौत्र वार
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क्षत्रिय वंश की कुलदेवियां प्राचीन समय में भारत में वर्ण व्यवस्था थी, जिसे
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र इन चार वर्णों में बाँटा गया था। यह वर्ण
व्...
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