आदरणीय डा. अरविन्द मिश्रा जी का यह कथन हिंदी ब्लॉगर्स के दरम्यान चल रही एक लंबी और आलिमाना बहस का हिस्सा है, जिसे देखा जा सकता है निम्न पोस्ट पर
(ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (जरूर किया)
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सूरए अल इन्शिरा मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी आठ (8) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ रसूल) क्या हमने तुम्ह...
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