बाबा रामदेव जी चाहते थे कि विदेशों में जमा ख़ज़ाना भारत लाया जाए और सरकार ने दिखा दिया कि बाहर से लाने की ज़रूरत तो बाद में पड़ेगी, देश के धर्मस्थलों में बहुत जमा है।
आप कहें तो पहले इसी का राष्ट्रीकरण कर दिया जाए ?
अब न तो बाबा जी से जवाब देते बन रहा है और न ही बीजेपी से।
...लेकिन यह सब हुआ क्यों और अब क्या होगा आगे ?
जानने के लिए देखिए यह लिंक
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/indian-tradition.html
ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी का जि़क्र है जो (उसने) अपने ख़ास बन्दे
ज़करिया के साथ की थी (2) कि जब ज़करिया ने अपने परवरदिगार को धीमी आवाज़ से
पुकारा
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19 सूरए मरयम
सूरए मरयम मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी 98 आयतें हैं खु़दा के नाम शुरू करता
हूँ जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
काफ़ हा या ऐन साद (1)
ये तुम्हा...
2 comments:
जाते हैं दिये हुए लिंक पर!
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