कल एक ख़बर पढ़ने में आई कि आईआईटी में लड़कियों की तादाद कम देखकर उन्हें प्रोत्साहन देने के मक़सद से यह तय किया गया है कि लड़कियों को दाखि़ले के लिए फ़ॉर्म मुफ़्त मिलेंगे हालांकि लड़कों के लिए फ़ीस बढ़ा दी गई है।
कुछ हिन्दी ब्लॉगर्स के संग रचना जी को भी यह फ़ैसला सही नहीं लगा।
इस पर हमने यह राय दी है कि
बात यह नहीं है कि फ़ॉर्म की फ़ीस के पैसे न देने से कुल कितनी रक़म की बचत हुई और वह कितनी छोटी या कितनी बड़ी है ?
बल्कि बात यह है कि लड़की को एक विशेष सम्मान उसके लड़की होने के कारण दिया जा रहा है।
यह सम्मान लड़की को घर में भी और बाहर भी हर जगह मिलना चाहिए और रही बात शिक्षा की तो वह तो शासन की ओर से लड़के और लड़की को प्रत्येक स्तर पर बिल्कुल मुफ़्त मिलनी चाहिए।
वर्ना जो मोटा माल शिक्षा पाने में लगाएगा तो फिर वह उसे कई गुना करके वसूलेगा भी, तब कोई यह शोर न मचाए कि ये लोग भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
मोटा माल ख़र्च करके शिक्षा पाई है तो सदाचार के रास्ते पर चलने के लिए तो नहीं ही पाई है।
माल लगाया है तो माल कमाएगा भी।
जो इतनी मोटी फ़ीस नहीं दे पाएगा और उसके बच्चे पीछे रह जाएंगे क्योंकि वह सदाचार पर चलता है। यह देखकर वह भी सदाचार छोड़कर भ्रष्टाचार करेगा और किया जा रहा है ताकि उनके बच्चे आगे बढ़ें।
बच्चे आगे बढ़ रहे हैं और देश पीछे जा रहा है।
लड़कियों की तादाद में कमी का कारण भी यही है कि आदमी बेटी पर ख़र्च करके या उसका दहेज देने के बजाय अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाना चाहता है।
सूदख़ोर सेठों का जीवन स्तर ऊंचा हो रहा है और ख़ुद वे नीचे गिरे हुए हैं।
अजीब हाल है कि व्यक्ति माल और रूतबे में ऊंचा उठ रहा है और आगे बढ़ रहा है और इंसानियत में समाज नीचे और पीछे जा रहा है और जो इन्हें समझाता है, उस पर ये बुद्धिजीवी (?) ऐतराज़ करते हैं।
याद रखिए कि आप ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ के मंच पर मौजूद हैं जो कि आपको ब्लॉग जगत की ताज़ा हलचल के बारे में जानकारी देने के लिए कटिबद्ध है और वक्षबद्ध भी।
यह वक्षबद्ध होना क्या होता है ?
क्या आप नहीं जानते ?
क्या आपने वह गाना सुना है ?
‘...चौड़ी छाती वीरों की‘
जो दूसरों के फटे में टांग अड़ाए, वह कटिबद्ध कहलाता है
है न मज़ेदार लफ़्ज़
‘वक्षबद्ध होना‘
यहां आपको ऐसी ही नई नई बातें मिलेंगी।
आपका यहां सदा स्वागत है लेकिन इस पोस्ट पर हमारी राय पर ज़रूर अपनी राय दें।
बिना धन्यवाद के और बिना आभार के यह पोस्ट आपको समर्पित है क्योंकि धन्यवाद और आभार जैसा काम आपने अभी तक इस पोस्ट के साथ किया ही नहीं है।
कमेंट दें और आभार आदि लें,
अतः कहा जा सकता है कि
‘तुम मुझे कमेंट दो मैं तुम्हें धन्यवाद दूंगा‘- अनवर जमाल
बात यह नहीं है कि फ़ॉर्म की फ़ीस के पैसे न देने से कुल कितनी रक़म की बचत हुई और वह कितनी छोटी या कितनी बड़ी है ?
बल्कि बात यह है कि लड़की को एक विशेष सम्मान उसके लड़की होने के कारण दिया जा रहा है।
यह सम्मान लड़की को घर में भी और बाहर भी हर जगह मिलना चाहिए और रही बात शिक्षा की तो वह तो शासन की ओर से लड़के और लड़की को प्रत्येक स्तर पर बिल्कुल मुफ़्त मिलनी चाहिए।
वर्ना जो मोटा माल शिक्षा पाने में लगाएगा तो फिर वह उसे कई गुना करके वसूलेगा भी, तब कोई यह शोर न मचाए कि ये लोग भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
मोटा माल ख़र्च करके शिक्षा पाई है तो सदाचार के रास्ते पर चलने के लिए तो नहीं ही पाई है।
माल लगाया है तो माल कमाएगा भी।
जो इतनी मोटी फ़ीस नहीं दे पाएगा और उसके बच्चे पीछे रह जाएंगे क्योंकि वह सदाचार पर चलता है। यह देखकर वह भी सदाचार छोड़कर भ्रष्टाचार करेगा और किया जा रहा है ताकि उनके बच्चे आगे बढ़ें।
बच्चे आगे बढ़ रहे हैं और देश पीछे जा रहा है।
लड़कियों की तादाद में कमी का कारण भी यही है कि आदमी बेटी पर ख़र्च करके या उसका दहेज देने के बजाय अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाना चाहता है।
सूदख़ोर सेठों का जीवन स्तर ऊंचा हो रहा है और ख़ुद वे नीचे गिरे हुए हैं।
अजीब हाल है कि व्यक्ति माल और रूतबे में ऊंचा उठ रहा है और आगे बढ़ रहा है और इंसानियत में समाज नीचे और पीछे जा रहा है और जो इन्हें समझाता है, उस पर ये बुद्धिजीवी (?) ऐतराज़ करते हैं।
याद रखिए कि आप ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ के मंच पर मौजूद हैं जो कि आपको ब्लॉग जगत की ताज़ा हलचल के बारे में जानकारी देने के लिए कटिबद्ध है और वक्षबद्ध भी।
यह वक्षबद्ध होना क्या होता है ?
क्या आप नहीं जानते ?
क्या आपने वह गाना सुना है ?
‘...चौड़ी छाती वीरों की‘
जो दूसरों के फटे में टांग अड़ाए, वह कटिबद्ध कहलाता है
और जो उसके बाद उठने वाले बवंडर को फ़ेस करे चौड़ी छाती के बल पर, वह वक्षबद्ध कहलाता है।
कटिबद्ध की गारंटी नहीं है कि वह मैदान छोड़कर नहीं भागेगा लेकिन वक्षबद्ध की गारंटी होती है।है न मज़ेदार लफ़्ज़
‘वक्षबद्ध होना‘
यहां आपको ऐसी ही नई नई बातें मिलेंगी।
आपका यहां सदा स्वागत है लेकिन इस पोस्ट पर हमारी राय पर ज़रूर अपनी राय दें।
बिना धन्यवाद के और बिना आभार के यह पोस्ट आपको समर्पित है क्योंकि धन्यवाद और आभार जैसा काम आपने अभी तक इस पोस्ट के साथ किया ही नहीं है।
कमेंट दें और आभार आदि लें,
अतः कहा जा सकता है कि
‘तुम मुझे कमेंट दो मैं तुम्हें धन्यवाद दूंगा‘- अनवर जमाल
9 comments:
ladkiyon ke liye aisee vyavasthayen aaj bhi zaroori hain kyonki ye ek aam soch ban chuki hai ki ladki ki padhai par kharch karen isse achchha ki uski shadi kar den isliye yadi ladki ki padhai me kuchh chhoti moti suvidhayen milen to shayad unke hit me achchha rahe.
ab dr.sahab comment to hamne kar diya aap dhanyawad kijiye.
...तो फिर आप भी संभालिए हमारा
‘धन्यवाद‘ ♥
bilkul sach hai ladkiyon ke baare main abhi bhi kaafi logon ki soch nahi badali hai khhskar chote kashbon main.agar siksha main ladkiyon ko fees kam karenge yaa muft karenge tabhi ladkiyon ko sikshaa praapt karane ki choot milegi.nahi to log ladkiyon ki sikhsha per kharch karane se shaadi karanaa jyaadaa jaruri samajhte hain.kyonki padi likhi kamaau ladaki hone ke baad bhi ladakewaalon ki taraf se dahej ki maang to rahati hi hai.ladki ke maa pitaa per dohari maar padhti hai pahle to ladki ki padhai per kharch karen phir uski shaadi per.aur agar kamaau ladaki hai to uskaa phayadaa bhi ladake yaa uske sasuraalwaalon ko milataa hai.ladki ke maa pitaa ka to koi huq nahi rahataa.
kalam katibaddh hai ...
अनवर जमाल जी -
पूरी पोस्ट बहुत ध्यान से पढ़ी है .कटिबद्ध भी टूट जाते हैं और वक्षबद्ध भी .जो नहीं टूटता वो है -मनबद्ध.मन चंचल न हो तो सब काबू में और मन की चंचलता ले जाती है नैतिक पतन की ओर.मन को रखिये काबू में बस इतना ही कहना है .आभार एक सोचने को विवश करती पोस्ट हेतु .
GANESH CHATURTHI
@ रश्मि प्रभा जी ! यह जानकर अच्छा लगा कि क़लम कटिबद्ध है लेकिन किस लोकेशन पर ?
क़लम को घूमते हुए कभी HBFI पर भी आना चाहिए न ?
धन्यवाद !
@ प्रेरणा जी ! सहमति जताने के लिए धन्यवाद !
@ शिखा जी ! धन्यवाद ।
अच्छा होता कि आप यह भी बता देतीं कि IIT में लड़कियों के लिए छूट के मुददे पर आप हमसे सहमत हैं या नहीं ?
वास्तव में यही मुख्य प्रश्न है लेकिन वक्षबद्ध शब्द आपको मनबद्ध कर गया अर्थात मोहित कर गया ।
आपने इंजॉय किया अच्छा लगा ।
asahmatika saval hi kahan hai .
...तो आपका भी धन्यवाद !
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