Sheel Gurjar |
"गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास" लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी
by Sheel Gurjar on Saturday, December 31, 2011 at 5:43pm on Facebook
मित्रों, मै स्वयं को अनुग्रहित, धन्य और खुशकिस्मत महसूस कर रहा हूँ क्योंकि कल मुझे चौ. खुर्शीद भाटी जी द्वारा गुर्जर इतिहास एवं संस्कृती पर लिखी गयी एक सम्पूर्ण पुस्तक "गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास" की एक complimentary कॉपी मिली.
मै इस स्नेहिल अनुकम्पा के लिए भाई राजबीर सिंह जी (एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट), भाई मनोज चंदीला जी और चौ. खुर्शीद भाटी जी का अपने हृदय की गहराइयों से धन्यवाद करना चाहता हूँ क्योंकि आपने कष्ट किया, व्यक्तिगत रूप से आप मेरे ऑफिस आये और इस बेशकीमती पुस्तक की प्रति मुझे भेंट की.
यह पुस्तक गुर्जरों पर लिखी किसी अन्य पुस्तक की तरह नहीं है बल्कि अपने आप में एक सम्पूर्ण ग्रन्थ है...एक encyclopedia है. इसमें 874 प्रष्ठ हैं और निम्नलिखित विषयों पर बहुत ही विस्तार में लिखा गया है:
- गुर्जरों की उत्पत्ति एवं विस्तार
- गुर्जरों का प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास
- गुर्जरों का आधुनिक इतिहास
- गुर्जर महिलाओं का धर्म और समाज में योगदान
- गुर्जरों के आराध्य अवतार भगवान् श्री देवनारायण जी महाराज
- भगवान् कारस देव जी
- हिन्दू धर्म में गुर्जर अवतार एवं संत
- मुस्लिम धर्म में गुर्जर औलिया एवं सूफी
- सिख व जैन धर्म में गुर्जर गुरु, संत एवं मुनि
- गुर्जर संस्कृती
- गुर्जरों की वर्तमान दशा एवं भावी दिशा
इसके अलावा गुर्जरी भाषा, गुर्जर चित्रकला, गुर्जर वास्तुकला, गुर्जरी राग, गुर्जरी गहना, गुर्जरी पहनावा, गुर्जरों के त्यौहार, गुर्जरों के गोत्र, गुर्जर रियासतें, पुरुस्कारों से विभूषित होने वाले गुर्जर, गुर्जर संस्कृती के प्रतीक मंदिर, गुर्जर समाज की पत्र-पत्रिकाएं, गुर्जर रेजिमेंट की घोषणा जैसे अन्य कई विषयों पर भी गहन विवेचना की गयी है.
इस पुस्तक पर पहली नज़र डालते ही आप को यह स्पष्ट आभास हो जायेगा कि इसके लेखन में चौ. खुर्शीद भाटी जी ने कितनी मेहनत की है. उनकी इस मेहनत और लगन का ही नतीजा है जो हमारे समाज को अपने आप को पूरी तरह से जानने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है.
मै आप सभी से विनम्र निवेदन करूँगा कि आप इस महा पुस्तक की कम से कम एक प्रति अवश्य मंगवाएं. आप चौ. खुर्शीद भाटी जी से उनके निवास/कार्यालय - गुर्जर भवन, कोटला, पटपडगंज, दिल्ली 110091 पर संपर्क कर सकते हैं या उनके मोबाइल न. 9990865810 पर भी संपर्क कर सकते हैं.
धन्यवाद .
पुस्तक के प्रचार हेतु शील कुमार जी से साभार