शाब्दिक और अलंकारिक अर्थों में फर्क होता है .कई बार उद्धरण सीधे शाब्दिक या अभिधामूलक न होकर लक्षणा या व्यंजना का भाव लिए रहते हैं. शाब्दिक अर्थ में तो पति के दिवंगत होने के बाद नारी का क्रंदन ही विधवा विलाप होता है .मगर अपने लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थों में यह एकदम अलग भाव संप्रेषित करता है -वहां कोई जरुरी नहीं है कि नारी का ही विधवा विलाप हो -कोई पुरुष ,कोई राजनीतिक पार्टी भी किसी मुद्दे को लेकर ध्यानाकर्षण के मकसद से विधवा विलाप कर सकती है . यहाँ विधवा विलाप का मतलब ध्यानाकर्षण के लिए अत्यधिक और बहुधा निरर्थक प्रयास से है -जैसे लोग घडियाली आंसू बहाते हैं -उसी तरह विधवा विलाप भी कर सकते हैं! समझ में नहीं आता इस सामान्य सी बात को न समझ कर इन दिनों कुछ ख़ास लोग ब्लॉग जगत में क्यों विधवा विलाप/ किये जा रहे हैं .
क्या ब्लॉग जगत के नारी वादियों की वाद प्रियता शून्य हो चली है?
देखें-
क्या ब्लॉग जगत के नारी वादियों की वाद प्रियता शून्य हो चली है?
...और यह पुरानी पोस्ट भी देखने लायक़ है-
Ward Councilor Shahzadi Begum distributed bank passbooks under Laxmi Bai Social Securities and Widow Pension Scheme in Patna on March 6, 2010.
Photo: Aftab Alam Siddiqui
Photo: Aftab Alam Siddiqui
2 comments:
बढ़िया विवेचना ||
विधवा विलाप इन शब्दों को लेकर यहाँ क्या चल रहा है मै नहीं जानती ना ही जानना चाहती हूँ बस निष्पक्ष होकर कहना चाहती हूँ की कुछ शब्द जो किसी की आत्मा तक पर प्रहार करें वो कोई भी बोले शोभनीय नहीं होता सोच समझ कर बोलना चाहिए
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