Wednesday, March 6, 2013

क्या इस्लाम जायज़ मानता है ?

अभी अभी जागरण जंक्शन पर शिखा कौशिक जी की ये पोस्ट देखी  तो मन किया कि मैं इसे आप  के समक्ष प्रस्तुत करूँ और आपके विचार जानूं .तो क्या कहना है आपका इसके बारे में ?

क्या इस्लाम जायज़ मानता है ?


IS THIS VALID IN ISLAM ?क्या इस्लाम
जायज़ मानता है ?
क्या इस्लाम ऐसे विज्ञापन को जायज़ मानता है ?जब मुस्लिम समाज को वैवाहिक विज्ञापनों से परहेज नहीं तब ”परगाश ”जैसे बैंड पर आपत्ति क्यों ?परिवर्तन प्रकृति का नियम है !सोचिये जरा !
IS THIS VALID IN ISLAM ? IF MUSLIMS HAVE NO OBJECTION ON THIS… WHY HAVE THEY OPPOSED A BAND LIKE ‘PARGASH ‘ CHANGE IS THE RULE OF  NATURE .
THINK !THINK !THINK !
SHIKHA KAUSHIK ‘NUTAN’

3 comments:

Ayaz ahmad said...

बहुत बढ़िया सवाल उठाया है आपने। इस तरह के सवाल मुसलमानों को यहां आकर इसलाम की तब्लीग़ करने का मौक़ा देंगे।
शुक्रिया !

DR. ANWER JAMAL said...

पहली टिप्पणी वैवाहिक विज्ञापन के मुददे पर
आदरणीया ! इस तरह के बहुत से सवालों को आप ख़ुद भी हल कर सकती हैं। इसलाम मे हलाल (वैध) और हराम (अवैध) बिल्कुल साफ़ है। इसलाम का अनुशासन उनके लिए है जो कि ख़ुद को मुस्लिम कहते हैं। दूसरों के लिए छूट है कि वे अपने धर्म के अनुसार जिसे जायज़ समझते हैं, करें।
अगर इसलाम के मानने वालों से भी इसलाम के पालन के लिए न कहा जाएगा तो फिर किससे कहा जाएगा ?
समय के साथ परिवर्तन को इसलाम में स्वीकार किया जाता है। यही वजह है कि दूसरों की तरह ही मुसलमान भी ट्रेन, प्लेन और इंटरनेट आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरे वैवाहिक विज्ञापन दे रहे हैं तो मुसलमान भी दे रहे हैं। विज्ञापन इसलामी शरीअत का उल्लंघन न कर रहे हों तो शादी के लिए विज्ञापन भी दिए जा सकते हैं। आपकी पोस्ट में दिए गए फ़ोटो में जो मॉडल्स नज़र आ रहे हैं, इनसे इसलामी उसूलों के मुताबिक़ मॉडलिंग कराई जाती तो जो कमियां इस फ़ोटो में नज़र आ रही हैं। उन्हें भी दूर किया जा सकता था।

DR. ANWER JAMAL said...

दूसरी टिप्पणी ‘परगाश‘ बैंड पर विवाद के मुददे पर
इस मुददे पर आपसे पहले आदरणीय विजय सिंघल जी ने भी नवभारत टाइम्स के अपना ब्लॉग पर सवाल खड़े किए थे तो हमने उनसे जो कहा था, उसी को यहां फिर से पेश कर देते हैं-
आदरणीय सिंघल साहब,
एक सामयिक मुददे पर आपने अपने विचार दिए।
शुक्रिया.
कोई आक्षेप लगाना हमारा मक़सद नहीं है लेकिन यह सत्य है कि जिस बात की वजह से पहले ही धर्म और मानव सभ्यता विकारग्रस्त हो चुकी हो, अगर उसे इसलाम (सितार-गिटार आदि को) अपनाने की अनुमति नहीं देता तो इसमें ऐतराज़ की क्या बात है ?
वैदिक काल में यह सब नहीं था लेकिन बाद में इसका प्रचलन हुआ और देवदासी प्रथा सामने आई। एक हिन्दू लेखिका के अनुसार
आदिकाल में ये देवदासियाँ दक्ष नृत्याँगनायें, संगीत में प्रवीण और अच्छी सलाहकार हुआ करतीं थी...ये मंदिरों के आयोजनों में बढ़-चढ़ कर भाग लेतीं थीं...लेकिन अब ऐसा नहीं है... ये देवदासियाँ सीधे-सीधे 'सेक्स वर्कर' के रूप में काम करतीं हैं, जिनका इस्तेमाल मंदिर के कार्यकर्त्ता और गाँव के वरिष्ठ नागरिक बिना किसी रोक-टोक के आसानी से करते हैं.
वर्षों से यह प्रथा बेलगाम, बीजापुर, रायचूर, कोप्पल, धारवाड़, शिमोगा, हावेरी, गडग और उत्तर कर्नाटक के अन्य जिलों में प्रचलित है.. कर्नाटक में आज 25,000 के आसपास देवदासियाँ हैं..इन सभी राज्यों में यह कुरीति, सामाजिक रूप से स्वीकृति प्राप्त कर चुकी है...बहुत ही चतुराई से इस प्रणाली को ईश्वर के नाम से चलाया जाता है, अशिक्षित माता-पिता को यह महसूस कराया जाता है कि यह सब भगवान् के लिए किया जा रहा है..और इससे उन्हें आशीर्वाद ही मिलना है.
---------
आदरणीय भाई साहब,
अगर इसलाम में भी हिन्दू धर्म की तरह संगीत और नृत्य को मान्यता दी गई होती तो क्या मस्जिदों में भी आज वही सब कुछ न हो रहा होता जो कि हिन्दू मंदिरों में हो रहा है ?
कृप्या विचार करें।
आदरणीय विजय सिंघल जी की पोस्ट का शीर्षक यह है
'कठमुल्लों का आतंकवाद'

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

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3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
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5- इंसान का परिचय Introduction
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7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
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11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
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13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
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15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
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17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
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18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
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21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
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22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
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