'मंगलायतन' ब्लॉग पर आज हिन्दी ब्लॉगर्स यह पढ़ रहे हैं-
डचे वेले के बोब्स ब्लॉग पुरस्कार के टॉप टेन मे नामित हिन्दी ब्लॉग के चयन पर रबिश कुमार के सिविक सेंस पर उंगली उठाई है रवीन्द्र प्रभात ने और कहा है कि यह चयन स्तरीय नहीं है । उन्होने केवल चार ब्लॉग को ही बेहतर नामित ब्लॉग माना है, बाकी छ: ब्लॉग को बकबास ।
रविन्द्र प्रभात जी ने ‘तस्लीम‘ ब्लॉग को वोट देने की अपील की है और उसके बाद 3 अन्य ब्लॉग्स को भी अच्छा बताया है। इस तरह उनकी पसंद के 4 ब्लॉग्स के नाम सामने आ जाते हैं और कुल 10 ब्लॉग्स में इन ब्लॉग्स को निकालने के बाद ये छः ब्लॉग्स बचते हैं-
हिंदी का सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग...
अन्ना हज़ारे
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विज्ञान
इन 6 ब्लॉग्स को मंगलायतन पर रविन्द्र प्रभात जी के हवाले से बकबास बताया जा रहा है। उनके हवाले 6 ब्लॉग्स को बकबास कहने वाले को ‘बकवास‘ शब्द को सही लिखना तक नहीं आता और बकवास करने से बाज़ नहीं आया। इस तरह के ब्लॉगर्स रविन्द्र प्रभात जी की बात को बकवास नहीं मानते लेकिन दूसरे ब्लॉगर्स उनके नज़रिए से आहत हैं।
आजकल ‘मानहानि‘ का डर दिखाया जा रहा है लेकिन रविन्द्र मंडल के कार्यकर्ता हिन्दी की सेवा करने वाले ब्लॉग्स को ‘बकबास‘ बताकर उनकी मानहानि कर रहे हैं। इससे हिन्दी ब्लॉगर्स में रोष है। 2-3 ब्लॉगर्स की प्रतिक्रियाएं देखकर पता चलता है कि उन्हें यह ज़्यादा ही नागवार गुज़रा है।
‘नारी‘ ब्लॉग की संस्थापिका से एक ईमेल मिली है जिसमें उन्होंने 3 लिंक भेजे हैं। ये तीनों लिंक भी आजकल हिन्दी ब्लॉगर्स के दरम्यान काफ़ी पढ़े जा रहे हैं। इन पोस्ट्स का केन्द्रीय विषय रविन्द्र प्रभात जी ही हैं। इन्हें देखकर पता चलता है कि रविन्द्र प्रभात जी छुपे रूस्तम हैं। इन पोस्ट्स में कई सच्चाईयां उजागर की गई हैं। फिर भी पूरी बात सामने आना अभी बाक़ी है। देखिए-
11:30 PM (0 minutes ago)
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अंत में एक सवाल रविन्द्र प्रभात जी से यह कि
‘भाई साहब ! आपको किसने हक़ दिया है कि आप ‘बॉब्स पुरस्कार 2013‘ में नामित 6 ब्लॉग्स को बकबास बताएं और उनके चयन के कारण श्री रविश कुमार जी के सिविक सेंस पर सवालिया निशान लगाएं ?
आपको अपनी इस कथन के लिए हिन्दी ब्लॉग जगत से उमूमन और संबंधित 6 ब्लॉगर्स से ख़ुसूसन माफ़ी मांग लेनी चाहिए।
अपनी ग़लती पर अड़ने वाले कभी अच्छे लोग नहीं होते और ग़लती स्पष्ट है ही।
यह एक दुखद प्रकरण है। माफ़ी मांग कर इसे समाप्त करना ही बेहतर है। दूसरों पर कीचड़ उछालने से दूसरों पर वह गिरे या न गिरे लेकिन अपने हाथ ज़रूर गंदे हो जाते हैं।
इस पोस्ट का रवीन्द्र प्रभात जी से कोई संबंध नहीं है और न ही यह आजकल ज़्यादा पढ़ी जा रही है लेकिन इस पोस्ट पर रवीन्द्र प्रभात जी के हिमायतियों की कुछ टिप्पणियां हैं। जिनमें यह देखा जा सकता है कि वे दूसरों को क्या नसीहतें देते हैं और ख़ुद दूसरों के ब्लॉग को ‘बकबास‘ :( बताते समय उन्हें भूल जाते हैं।
बड़ा ब्लॉगर वह है जो कमाता है
इस तरह हिन्दी ब्लॉगर्स को अपनी आय का स्रोत बनाने की घटिया मानसिकता बेनक़ाब हो जाती है। इसी के साथ गुटबाज़ी और रंजिश की एक बड़ी वजह भी सामने आ जाती है।
नोटः मंगलायतन ब्लॉग की पोस्ट का स्क्रीन शॉट सुरक्षित है। उसमें किसी तरह के हेर-फेर की कोशिश कामयाब न होगी।
नोटः मंगलायतन ब्लॉग की पोस्ट का स्क्रीन शॉट सुरक्षित है। उसमें किसी तरह के हेर-फेर की कोशिश कामयाब न होगी।
10 comments:
IT'S NICE TO SEE YOU WITH RACHNA JI -SAME SIDE .
@ शिखा जी ! मतभेद का यह मतलब नहीं होता कि किसी से अपने दिल में बैर पाल लिया जाए या उसकी सही बात का भी समर्थन न किया जाए.
जो लोग रचना जी को जर्मनी जाते देखना चाहते हैं, उनमें से एक आपका भाई भी है.
यहाँ मुद्दा उनके विचारों का नहीं है बल्कि हिंदी का है और हमारे लिए हिंदी के साथ नारी का भी है.
हिन्दुस्तानी नारी को सम्मान दिलाने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं.
धन्यवाद.
ब्लोगिंग का माज़ी(इतिहास) लिखने वाले उसका वर्तमान ख़राब कर रहे हैं. यह देखना अच्छा नहीं लगता.
शोहरत की भूख के लिए आदमी वह सब कर गुज़रता है जो कि नहीं करना चाहिए.
रविन्द्र परभात जी किसी ब्लॉग को अच्छा कहें तो सही है लेकिन वे या उनके हमनवा दुसरे ब्लोगों को बकवास कहने का हक नहीं रखते.
ईनामके लिए नामित महिला ब्लोगर कि ईमेल ने तो उनके बारे में बहुत कुछ बिना कहे कह दिया है.
भैया सारे के सारे बकवास ब्लॉग ही तो छांटे गए हैं ....इन जर्मनी वाले को क्या पता हिन्दी और साहित्य क्या होता है ....
फिर हिन्दी और नारी का जर्मनी से क्या सम्बन्ध ...
आपस की लड़ाई और खींचतान ने ब्लॉग जगत का कितना नुकसान कर दिया है. किसी को खबर नहीं.
अपनी पसंद के ब्लॉग की सराहना करने का तो सबको हक़ है पर किसी ब्लॉग को बकवास कहना गलत है चाहे वह कोई भी कहे !!
जो भी हो इस तरह का विवाद दुखद है !!
Gyan Darpan
@ डा. श्याम गुप्ता जी ! आपको कुछ पता तो है नहीं और राय दे डालते हैं. आपके ऐसे ही एक अन्य बयान का पोस्टमार्टम यहाँ फ़रमाया गया है-
Hindi Bloggers सब चवन्नी छाप हैं-डा. श्याम गुप्ता
http://blogkikhabren.blogspot.in/2013/04/hindi-bloggers_12.html
इसे पढ़िए और कुछ सुधर जाईये.
कहने वाले कहते रहते हैं उन पर ध्यान देना बेबात का विवाद पैदा करना होता है और विवादों को जितना बढ़ाया जाएगा उतनें ही आगे बढते जायेंगे !!
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