यह वाकई एक अच्छी खबर है कि प्यारी माँ ब्लॉग पर संवेदनशील साहित्यकार साधना वैद जी और जानी मानी शायरा रज़िया मिर्ज़ा साहेबा भी आ चुकी हैं और आते ही दोनों ने प्यारी माँ की ख़िदमत में काव्य रचना की शक्ल में अपना नजराना ए अक़ीदत भी पेश किया है . दोनों कलाम अपने आप में खूब से खूबतर हैं. हम इस्तकबाल करते हैं.
1- रज़िया मिर्ज़ा साहेबा - तेरा "वजुद" मुझ में है "माँ"
२- साधना वैद जी - तुम्हारे बिना
3 comments:
waqaee bahut achchhi khabar hai
!
शुक्रिया हकीम साहब और सलीमभाई।
badhai, swagat
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