Friday, April 8, 2011

क्या हो रहा है ब्लॉगर्स का हौसला पस्त करने के लिए ? A Call

यह कैसी दुनिया है कि किसी की टांग खींचो तो तुरंत 50 आदमी आ जाएंगे और कमेंट भी देंगे और सलाह भी देंगे कि आप ऐसा करें और आप वैसा करें और जब आप उनकी सलाह के मुताबिक़ सकारात्मक लेखन करेंगे तो फिर न आपको उनमें से कोई पढ़ने आएगा और न ही आपको कमेंट देने के लिए।
सारी हालत आपके सामने है क्योंकि मेरी तीनों पोस्ट आप हमारी वाणी के बोर्ड पर देख सकते हैं। यह बात सकारात्मक लेखन के लिए ब्लॉगर्स का हौसला पस्त करने के लिए काफ़ी है। 
क्या यह सही हो रहा है ?
आज यह विषय एक गंभीर चिंतन और आत्ममंथन मांगता है, जिसे हिंदी और मानवता के हित में ईमानदारी से और जल्दी से जल्दी किया जाना ज़रूरी है।
यह एक अंश है उस चर्चा का जो आज की जा रही है चर्चाशाली मंच पर , देखिये पूरी चर्चा मय सुबूतों के 


और एक सकारात्मक सन्देश सबके लिए
 बोलने से पहले खूब सोच लेने से आदमी बहुत सी बुराईयों से बच जाता है The Word

वन्दना बहन ब्लोगिंग की जिंदगी बन गयी हैं

जिंदगी एक खामोश सफ़र है इसे तो सिर्फ कुशल ग्रहिणी ही जी सकती है ,और इसी लियें वन्दना बहन ब्लोगिंग की जिंदगी बन गयी हैं

ब्लोगिंग की दुनिया  की जिंदगी बहन वन्दना जी
कहते हैं एक कुशल गृहणी माँ ,पत्नी,बहन,दोस्त,बहु और सास सहित ना जाने कितने किरदार निभाती है वोह जब घर को सजाती है तो इंटीरियर डेकोरेटर होती है ,जब घर के सदस्यों के लियें मन पसंद खाना बनाती है तो ऐसे  वक्त पर एक गृहणी डाईटीशन बन जाती है , कुल मिलाकर एक ईंट पत्थर से बने मकान को अगर घर और सपनों का खुशनुमा महल कोई बनाती है तो वोह सिर्फ और सिर्फ एक कुशल गृहणी ही होती है और हमारी बहन ब्लोगर श्रीमती वन्दना जी एक सफल गृहणी हैं यह तो सब जानते ही हैं उनके चेहरे की मुस्कान साफ़ झलकाती है के उनसे कोई नाराज़ नहीं है और वोह सभी की नब्ज़ समझ कर एक सूत्र में पिरोकर बेठी हैं .
बहन वंदना जी जो चटपटा खाना बना कर घर को साफ़ सुथरा कर ,सजा संवार कर, आकर्षक बनाती हैं वही बहन जब थक कर आराम करने का वक्त होता है तब अपने इस आराम के वक्त में वोह, हम और आप से जुड़ कर ब्लोगिंग करती हैं. ब्लोगिंग की दुनिया में उनके बहतरीन अल्फाजों में सजे संवरे विचार जन ब्लॉग पर आते हैं तो सभी लोग उसे पढ़ कर आह और वाह कर बैठते हैं क्योंकि इनकी लेखनी में ,इनके अंदाज़ में, प्यार ,झिडकी,एक अनुभव, एक सीख़ ,एक शिक्षा ,  एक अपनापन भरा पढ़ा है. घर के सारे कामकाज निपटाकर ब्लोगिंग करने वाली वन्दना जी को झूंठ से सख्त  नफरत है ,यह निर्भीक और निडर होकर अपनी बात कहने का साहस रखती हैं और कहती भी है वन्दना जी की एक खासियंत यह भी है के वोह प्रशंसा पसंद नहीं हैं, लेकिन यह गुस्ताखी में कर रहा हूँ और गुस्ताखी सिर्फ इसलियें के वन्दना जी को सच्चाई से प्यार है और सच यही है के वन्दना जी की ब्लोगिंग की तारीफ की जाए यह उनके ब्लोगिंग के प्रति समर्पण के कारण उनका  हक  बन गया है ,और मुझे यकीन है के इस सच्चाई पर वोह मुझ पर नाराज़ हरगिज़ नहीं होंगी . और सच लिखने में अगर हमारी बहन नाराज़ होती है तो हम  पहले ही कान पकड़ कर माफ़ी मांग लेते हैं .
एक निर्मल मन की मुस्कुराती तस्वीर अपनापन और प्यार बिखेरती वन्दना जी कहती हैं के,, ज़ाल जगत रूपी महासागर की में तो एक मात्र अकिंचन बूंद हूँ ,, उनके इन अल्फाजों से उनकी महानता उनका बढ़प्पन झलकता है ,  इनका निवास भारत की राजधानी जो इन दिनों अन्ना की भ्रस्टाचार  की लड़ाई का प्रमुख अखाड़ा बनी है वही दिल्ली है ,वर्ष २००७ से ब्लोगिंग की दुनिया में अपने आलेखों से ब्लोगर भाइयों को ब्लोगिंग टिप्स देने वाली वन्दना जी के अनुभव के कारण ही उन्हें आल इण्डिया ब्लोगर एसोसिएशन की चेयरमेन बनाया गया हे जिस ज़िम्मेदारी को वोह आज तक बखूबी निभा रही हैं .  जिंदगी एक खामोश सफ़र ,एक प्रयास , जख्म जो फूलों ने दिए ,भ्रस्टाचार ,शब्द निराकार उनके प्रमुख ब्लॉग हैं अब तक कुल २४०० ब्लॉग लिख कर बहन वन्दना ८००० से भी अधिक टिप्पणियाँ लूट चुकी हैं वन्दना जी के लेख इतने प्रभावी हैं के इनके ब्लॉग और लेख अख़बारों में भी छपते रहे हैं इन्हें फूलों से बहुत बहुत प्यार हे इसी लिये इन्होने खुद की आई डी भी रोज़ और फ्लोवर के नाम से बनाई है .
मई २००७ से आज तक करीब चार वर्षों में ब्लोगिंग की इस खट्टी मीठी दुनिया में टकराव ,झगड़े फसाद हुए लेकिन वन्दना जी ने सभी विवादों से खुद को बचाकर रखा और हमेशां ब्लोगिंग कल्याण,ब्लोगिंग एकता ,मर्यादित ब्लोगिंग की हिमायत की ऐसी ब्लोगिंग की जिंदगी बनी ब्लोगर बहन वन्दना जी को एक फोजी धांय धांय ब्लोगिंग करने वाले का सेल्यूट सलाम ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भ्रष्टाचार के ख़ात्मे के लिए धर्म के द्वारा ऊपर उठना ज़रूरी है न कि धर्म से ही ऊपर उठना Corruption

अजय कुमार जी एक अच्छे पत्रकार हैं। रेडियो तेहरान भी उनसे ज्वलंत मुद्दों पर बात कर चुका है। आज ज्वलंत मुद्दों पर उनसे हम बात कर रहे हैं। ये मुद्दे ब्लॉग जगत से लेकर सचमुच की दुनिया तक ही नहीं बल्कि परलोक तक से जुड़े हैं। आप इस चर्चा को देख सकते हैं इस लिंक  पर-

1- http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/04/anwer-jamal.html


Thursday, April 7, 2011

एक सफल माँ ही बन सकती है सफल ब्लोगर जो हैं डॉक्टर मोनिका शर्मा

एक सफल माँ ब्लोगर डोक्टर मोनिका शर्मा
जी हाँ दोस्तों एक अच्छा इंसान एक अच्छा व्यक्ति ही अच्छा ब्लोगर बन सकता है लेकिन अगर एक माँ जो अपने बच्चों के लियें कर्तव्यबद्ध हो और उन्हें दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार करती हो अगर ऐसी ममता की मूरत माँ कोई ब्लोगिंग करे तो उसमें तो एक प्यार, एक अपनापन,मधुरता,मिठास , अल्फाजों की जादूगरी और एक नई सोच का आगाज़ होना ही चाहिए और यह सब एक सफल माँ ब्लोगर डोक्टर मोनिका शर्मा में है .
राजस्थान की राजधानी पिंक सिटी जयपुर की मूल निवासी डॉक्टर मोनिका इन दिनों केनेडा में बसी हैं और वोह केनेडा में रहकर हिंदी  से प्यार होने के कारण हिंदी भारत माँ की मात्र भाषा होने के कर्ण हिंदी में ब्लोगिंग कर रही हैं केनेडा के एयर कंडीशन वातावरण में डॉक्टर मोनिका ने नोवंबर २००९ से हिंदी ब्ल्गोगिंग की शुरुआत की और अपने सधे हुए निर्विवाद अल्फाजों से इन्होने जो रचनाएँ जो सारगर्भित लेख ब्लोगिंग की दुनिया को दिए इससे मोंका जी ब्लोगिंग क्वीन बन गयीं और आज ब्लोगिंग की दुनिया में इनका नाम मान सम्मान के साथ लिया जाने लगा है .
प्रारम्भ से ही मीडिया से जुडी रहने के कारण डॉक्टर मोनिक अपना मिडिया का लगाव नहीं छोड़ पायीं और वोह आज भी इसी कार्य में लगी हुई हैं ब्लोगिंग भी वोह करके अपनी इसी विधा की धार लोगों को जता रही हें , एक ख़ास बात डॉक्टर मोनिका में यह है के वोह बहतरीन रचनाकार के साथ गीत लिखने वाली बहतरीन शायर भी हैं और इसी कारण उनके अल्फाजों को अर्चना चाव्जी ने आवाज़ देकर मधुर वाणी बनाकर आज विश्व प्रसिद्ध बना दिया है .
नोवंबर २००९ से विभिन्न मुद्दों पर लिखने वाली महिला ब्लोगर में डोक्टर मोनिका जी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं और इसीलियें इनकी एक एक रचना पर टिप्पणियाँ बेशुमार होती हैं और सभी टिप्पणियाँ ब्लोगिंग की दुनिया का इनके प्रति प्रेम समर्पण प्यार को प्रदर्शित करती हैं ,वोह खुद कहती है के उनके कर्तव्यों में सबसे पहला और खास कर्तव्य माँ का हे इसीलियें इसके आगे सभी काम बेकार हैं . केनेडा में बैठकर हिन्दुस्तान पर हिन्दुस्तानी भाषा में लिखना इनका हिन्दुस्तान से जुड़ाव हिंदी से लगाव का एक यादगार अनुकरणीय उदाहरण है .
डॉक्टर मोनिका की पमुख लेखनी  में ..............चेतन्य का कोना .......परवाज़ शब्दों  के पंख .......तीज तवार....विश्वास नहीं ...........सबसे अलग ....प्रमुख हैं और इन ब्लोग्स में डोक्टर मोनिका जी ने अपने सारे मरीजों का दर्द अपने सारे साहित्यकारों का शोध उड़ेल कर रख दिया है और इसीलियें डॉक्टर मोनिका एक आदर्श माँ के साथ साथ एक आदर्श निर्विवाद ब्लोगर भी बन गयी हैं जिनका नाम ब्लोगिंग की दुनिया में सम्मान के साथ ही लिया जाता है ..............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

माफियाओं के चंगुल में फंसकर 'Help, Help' चिल्ला रही है हिंदी ब्लॉगिंग

एक तबका यह नहीं चाहता कि नेट इस्लाम की जानकारी आम हो . यही तबका एक अरसे से इस्लाम का सन्देश देने वालों को अलग थलग डालने कि तिकड़में करता आ रहा है . साझा ब्लॉग के खिलाफ हंगामा भी इसी रणनीति का एक हिस्सा है क्योंकि सलीम खान , अनवर जमाल और मासूम साहब , इन तीनों के ब्लॉग्स में साफ़ दिल  हिन्दुओं ने शरीक होकर नफरत की उस खाई को पाट दिया है जो कि इन इस्लाम मुखालिफों  ने खोदी थी. ये तत्व नहीं चाहते कि फासले कम हों और प्यार कि फ़ज़ा बने , मुसलमान मुख्यधारा में अपनी पहचान खोये बिना शामिल हों .रेडियो , टी.वी. और प्रिंट मीडिया की  तरह ये तत्व नेट की खुली दुनिया में  मुसलमानों की आवाज़ को दबाने में खुद को बेबस पा रहे हैं . यही शर्मा , मिश्रा और द्विवेदी के दुःख का मूल शूल है.
हमारी वाणी पर साझा ब्लॉग्स के लिए नियम बनाने की आड़ में यही राजनीति और कूटनीति खेली जा रही है. हमारी वाणी के मालिकान देर सवेर इस गेम को और इसके खिलाडियों को पहचान ही जायेंगे. हमारे ब्लॉग तो शुरू से ही हमारी वाणी पर हैं और जो तंगदिल आज हमारी वाणी के चौधरी बने बैठे हैं इन्होने हमारी वाणी पर तब तक खाता नहीं खोला जब तक कि इनके घुटने नहीं टूट गए और इन्होने वहां अपना आदमी देखकर इत्मीनान नहीं कर लिया . जैसे ही ये सांप्रदायिक तत्व हमारी वाणी में दाखिल हुए इन्होने मुस्लिम ब्लॉगर्स के लिए नित नई परेशानियां खडी करनी  शुरू कर दीं  . मुस्लिम ब्लॉगर्स  ने हमारी वाणी को  संघर्ष  के दिनों में सहारा दिया और उसे यहाँ तक लाये , अब उनकी मौजूदगी से हमारी वाणी का सौन्दर्य बिगड़ने लगा और कहा जाने लगा कि 'कुछ तो इन्हें भी आत्मावलोकन करना चाहिए .'
होता है , यह सब होता है . जब काम निकल जाता है और गाड़ी  चल पड़ती  है तो ऐसा ही होता है .
यह सब इतना ज्यादा गलत है कि  सलीम साहब को मजबूरन हमारी वाणी छोड़ देनी पड़ी.

उनके कट्टर आलोचक भाई प्रवीण शाह साहब ने इस प्रवृत्ति का विरोध किया
http://praveenshah.blogspot.com/2011/04/blog-post_05.html

विरोधियों के बाद उनके समर्थकों ने भी इस पर क्षोभ जताया .

माफियाओं के चंगुल में ब्लागिंग




'ब्लॉग कि ख़बरें' भी समय समय पर ताज़ा हालात से ब्लॉगर्स को आगाह करता रहा . इसकी कई पोस्ट्स पर यह जानकारी उपलब्ध  है .
 खैर यह सब तो चलता ही रहेगा . अब आप के लिए एक खबर यह है कि प्रियंका राठौर जी भी 'प्यारी माँ' के खिदमतगारों में शामिल हो गयी हैं. आप देखिये उनकी सुन्दर सी रचना -
प्यार तो कारण है  
उन लम्हों का
जो बीतें है साथ
बचपन में
वो ममता ,वो दुलार
और वो गोदी
तभी -
लम्हों में सिमटा है प्यार
जो कारण है अपनेपन का
भावों का और अहसासों का .........!!
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/04/blog-post_05.html





माफियाओं के चंगुल में ब्लागिंग

क्या इसी सभ्यता पर करेंगे हिंदी का सम्मान [ प्रथम भाग]   
हम बड़े शान से लिखते है की "हिंदी मात्र एक भाषा ही नहीं वरन हमारी मातृभाषा है". जी हाँ हिंदी को बढ़ावा देने की बात हम बड़े गर्व से करते है पर कैसे बढ़ावा देंगे यह कभी सोचा है आपने. जी नहीं आप सोच सकते है पर सोचने की जहमत नहीं उठाते. 
यह बाते हमें काफी दिनों से खटक रही थी पर सोचता था की जाने दीजिये इन विवादित बातो से बचना ही उचित पर आज बड़े भाई प्रवीन शाह के ब्लॉग "सुनिए मेरी बात" पर एक पोस्ट पढ़ी ..... आप भी देंखे.

सलीम खान से डरते हो आप, आपके दिल में भी कोई जगह तक नहीं उसके लिये... इतने छोटे दिल के साथ कैसे ' हमारी वाणी ' कहला सकते हो आप ?

.देखा आपने , मैं प्रवीन जी  पोस्ट पर नहीं  जाता  पर इस पोस्ट में जो कमेट दिए गए हैं, मैं उनकी बात करता हूँ.  जब मैं ब्लॉग लेखन में आया तो  मैं समझा था की यह वही लोग........... आगे पढने के लिए यहाँ आयें..

हमारी वाणी फले फूले, मालिक से हम यह दुआ हमेशा से करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे।

क्या दिनेशराय द्विवेदी जी भारत के पी. एम. से भी ऊँचे किसी रूतबे पर बिठा दिए गए हैं कि उनके किसी विचार का विरोध करते ही हमारी वाणी बिना किसी सूचना के तुरंत हमारे ब्लॉग निलंबित कर देगी। आज तक भी हमारी वाणी की ओर से हमें अधिकारिक रूप से यह तक नहीं बताया गया कि हमारे कुल कितने ब्लॉग निलंबित किए गए हैं और किस ब्लॉग को किस जुर्म में निलंबित किया गया ?

http://commentsgarden.blogspot.com/2011/04/blog-post_06.html

... और एक हैं कुंवर कुसुमेश

 एक ब्लोगर भाई धीर गम्भीर और कविता गुरु कुंवर कुसुमेश जी हैं जिन्हें अगर में नहीं पढ़ पाता या जिन तक मेरी पहुंच नहीं होती तो शायद में खुद को इस ब्लोगिंग और अध्ययन की दुनिया में अधूरा मानता इनका रोज़ लिखा जाने वाला काव्य साहित्य सीधे आँखों के रास्ते से कुंवर कुसुमेश जाकर दिल में उतरता है और फिर दिमाग को सोचने पर जमीर को झकझोरने पर मजबूर कर देता है लेखन की जमीर को जगा देने वाली जो ताकत है वोह इन जनाब कुंवर कुसुमेश जी में है . 
आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी लखनऊ उत्तर प्रदेश में जीवन बीमा निगम में जिला प्रबन्धक पद से रिटायर है और बीमा कम्पनी में क्लेम देते वक्त फाइनल करते वक्त कई लोगों का दर्द इन्होने नजदीक से देखा हे , कई लोगों के फर्जी क्लेम उठाने का झूंठ इन्होने पकड़ा हे कुशल प्रंबधक के रूप में इन्होने दफ्तर का काम अनुशासन से किया हे इसीलियें अनुशासन और अदब इनकी पहली शर्त हे अदब में साहित्य और तमीज़ दोनों चीजें शामिल हैं .
कुंवर कुसुमेश जी ऐसे पहले ब्लोगर हैं जिन्हें पढ़कर मुझे इनसे जलन हुई हे क्योंकि भाई में टिप्पणी फकीर हूँ और यह टिप्पणी सेठ  टिपण्णी  के धीरुभाई अम्बानी हैं इनकी हर रचना पर कमसेकम सत्तर लोगों की दाद होती हे और अधिकतम तो सो से भी ऊपर होती ही हे इनकी प्रमुख रचना फिर सलीबों पर मसीहा होगा जरा देखें जिंदगी का सच समझ में आ जाएगा इनके अनुभवों की वजह हे जो कुंवर कुसुमेश जी ने मोसम,युद्ध फोजी से लेकर जिंदगी के हर पहलु को अपनी रचना में समेटा हे और इनकी हर रचना पढ़नेवालों के दिल में इस कद्र उतरी है के उसके मुंह से बेसाखता वाह और हाथों की उँगलियों  से कम्प्यूटर पर टिप्पणी निकल पढ़ी हे इन जनाब ने अब तक तीन बहतरीन पुस्तकों का प्रकाशन भी कर दिया है इनकी रचनाएँ कम लेकिन गुणवत्ता वाली  है और  फालतू लफ्फाजी दे दूर और कुछ ना कुछ सोच को लेकर लिखी गयी होती हैं इन जनाब ने जुलाई २०१० से ब्लोगिंग की और आज १०९ लोग इनके फोलोवार्स हैं जबकि सेकड़ों लोग इनके टिप्पणीकार हैं ऐसे साहित्यकार की रचनाएँ पढ़ कर में तो भाई धन्य हो गया ..........
 अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Wednesday, April 6, 2011

गीता जी का विरोध क्यों किया जा रहा है ? - Anwer Jamal

खुशदीप सहगल 
१- घूमते हुए हम जा पहुंचे खुशदीप सहगल  जी के ब्लॉग देशनामा पर तो पता चला कि जैसे कुछ लोग सलीम खान का विरोध कर रहे थे , उसी तर्ज़ पर  अब कुछ गलत लोग गीताश्री जी का विरोध कर रहे हैं लेकिन एक फर्क है कि इस बार 'व्यक्ति विरोध' को घटिया वे लोग भी कह रहे हैं जो यह काम खुद करते रहते हैं. लेख अच्छा है और उससे भी अच्छी हैं उसकी टिप्पणियाँ . आप ज़रूर पढ़ें. हमने कहा है कि :
न तो गीता एक दिन में लिखी जा सकती है और न ही कोई एक दिन में गीताश्री बन सकता है . मैं नहीं जानता कि गीताश्री कौन हैं और न ही कभी उन्हें पढने का अवसर ही मिला लेकिन आप बता रहे हैं कि वह एक औरत हैं तो वह ज़रूर अच्छी ही होंगी. इस देश में एक औरत के लिए   घर बाहर काम करना कितना कठिन है  , यह आज किसी से छिपा नहीं है . ऐसे में जिसने अपने लिए जो मक़ाम बनाया है , कैसे बनाया है वही जानता है. 'व्यक्ति विरोध की मानसिकता' नकारात्मक कहलाती है और बुरे नतीजे दिखाती है .
हम गीता जी के घटिया विरोध पर आपत्ति करते हैं. 
 http://www.deshnama.com/2011/04/blog-post_06.html


२- हमारे प्रिय  प्रवीण शाह जी की पोस्ट का विषय भी यही है. वह पूछ रहे हैं कि

सलीम खान से डरते हो आप, आपके दिल में भी कोई जगह तक नहीं उसके लिये... इतने छोटे दिल के साथ कैसे ' हमारी वाणी ' कहला सकते हो आप ?

३-  इन सभी बैटन का हल है कि नरमी का बर्ताव किया जाये और सकारात्मक काम किया जाये . यह समाधान देती हुई पोस्ट भी देखि जा सकती है:

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया-‘अल्लाह नर्म आदत का है, वह नर्मी को पसंद करता है और नर्मी पर वह कुछ देता है जो सख्ती पर या किसी और चीज़ पर नहीं देता।‘

Tuesday, April 5, 2011

जानें एक सनातनी सन्यासी परमहंस योगानंद जी के बारे में Sanyasi

मैंने परमहंस जी की आत्मकथा 'योगी कथामृतम' अब से २५ साल पहले पढी थी . मैं उन्हें पसंद करता हूँ .
पुस्तक के अंत में उन्होंने अपना एक अनुभव भी लिखा है कि कैसे उन्होंने अपनी आत्मा की गहराई से हज़रात ईसा मसीह को तड़प कर पुकारा और उनसे उनकी मुलाक़ात हुई . उनकी यह किताब जो कोई भी पढ़ेगा उसे कुछ न कुछ नया जानने को मिलेगा. ऐसी किताबें पढ़कर ही मेरा झुकाव बचपन से ही योग कि तरफ हो गया था और मैं संन्यास लेकर हिमालय पर जाने और साधना करने के बारे में सोचने लगा था . 
http://vedquran.blogspot.com/2010/04/way-to-god.html
------------------------------------------------------------------
यह कमेन्ट आज मैंने दिया है इस पोस्ट पर

आप भी जाएँ और जानें एक सनातनी सन्यासी के बारे में . 

ब्लोगिंग की दुनिया पर रिसर्च कर रही हें शिला कोशिक

शिखा कोशिक
दोस्तों ब्लोगर की दुनिया पर पेनी नजर रखने और वक्त बा वक्त ब्लोगर भाइयों को अपनी टिप्पणियों अपनी लेखनी के माध्यम से ब्लोगिंग के नये टिप्स देने वाली शिखा कोशिक इन दिनों ब्लोगिंग की दुनिया में लोकप्रिय   हो गयी हे , शिखा कोशिक जो इन दिनों रिसर्च स्कोलर हे लेकिन उनकी ब्लोगिंग और ब्लोगिंग में अहतियात ,अपनापन ,पेनी नज़र , और तेज़ तर्रार लेखनी से स्पष्ट हे के वोह ब्लोगिंग पर भी पेनी नजर रख कर अपनी अतिरिक्त रिसर्च कर रही हे . 
शिखा  कोशिक के बारे में  आपको क्या बताऊं सबसे पहले अगर बात जन्मदिन की करें तो देखो आप सभी जानते हो के महिला की कोई उम्र नहीं होती और कुल सोलह साल पर जाकर हर महिला की उम्र टिक जाती हे और शिखा बहन के उम्र भी सोलह बरस पर आकर टिक गयी हे अब बात करते हें उनकी ब्लोगिग्न की लगभग सितम्बर २०१० से ब्लोगिंग की दुनिया में धूम मचाने आयीं शिखा जी ने ब्लोगिंग की नब्ज़ को समझा इसे टटोला हे और इसीलियें ब्लोगर्स और रीडर की भावनाओं को देखते हुए शिखा जी ने अपने विभिन्न ब्लोग्स पर कई रिसर्च किये हे कई प्रयोग किये हें . 
शिखा जी के ब्लॉग लेखन में जो अपना पन  ,जो एहसास , जो तीखे तेवर और जो पेनापन है उससे स्पष्ट हे के वोह दुसरे कामकाज के अलावा ब्लोगिंग पर भी बहुत महनत करती हे और इसमें उनके निजी स्वभाव की भी अहमियत हें शिखा जी जितना खुद को प्रेम करती हे इतना ही स्रष्टि के हर जीव को प्रेम करती हे इसीलियें वोह सभी का दुःख दर्द ,मानसम्मान समझती हे और इन मर्यादाओं को ध्यान में रख कर ब्लोगिंग करती हे , शिखा जी लिखना ,पढना ,खेलना, और बागवानी का शोक हे इनकी मनपसन्द पुस्तक रामायण हे जबकि मुंशी प्रेमचंद का साहित्य भी इन्हें बहुत पसंद है . 
शिखा जी कई ब्लोगों   से जुडी हें जबकि भातीय ब्लॉग लेखक मंच की महाभारत के बाद उसकी समानित पुरस्कृत सदस्या हैं . शिखा जी ने विचारों का चबूतरा, नन्हे फरिश्तों के लियें, हम तो हर पल जिए , हिंदी साहित्य पहेली , नेताजी क्या कहते हैं , अर्थली हेवन , विख्यात, मेरी कहानियाँ ,मेरा आपका प्यारा ब्लॉग सहित कई और ब्लॉग तय्यार किये हें जिसके अपने रीडर हें अपने टिका टिप्पणीकार हैं और शिखा जी ने अपने हर ब्लॉग पर हर टेस्ट ,हर आयु वर्ग से जुड़े लोगों के हिसाब से ब्लोगिंग की हे एक ब्लॉग में धार्मिक गाथाओं की झलक  हे तो एक ब्लॉग केवल बच्चों का दिल बहलाने और उनका बोद्धिक स्तर बढाने के लियें हे तो दूसरा ब्लॉग नेताओं को सूधारने के लियें उनकी हरकतें सार्वजनिक करने के लियें तय्यार किया गया हे , एक ब्लॉग साहित्य से जुदा हे तो दुसरा लेखों से भरा पढ़ा हे भाषा में हिंदी भी हे तो अंग्रेजी भी हे जिसकी जेसी पसंद वोह उस तरह से इनके अलग अलग ब्लोगों को पढ़कर इनकी प्रशंसा करता रहता हे सबसे बढ़ी बात यह हे के बहन शिखा ब्लोगिंग की दुनिया की निर्विवाद ब्लोगरों में से एक हे और यह ना काहू से दोस्ती ना काहू से बेर की तर्ज़ पर ब्लोगिंग कर रही हें इसीलियें इनकी लोकप्रियता दिन बा दिन बढती जा रही हे ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 
दोस्तों मेने अपनी २५०० पोस्ट पूरी करने के बाद लेडीज़ फर्स्ट की तर्ज़ पर महिला पर ही ब्लोगिंग की योजना बनाई थी और इसी क्रम में शिखा जी की उपयुक्त पात्रता होने के कारण उन के लियें ब्लोगिंग की हे .

टिप्पणी का अचार डालना है क्या ? Comments Free Blogging

अख्तर खान अकेला का देखिये निराला कमाल , २४०० पोस्टें करके मचा दिया धमाल Great Job 

आप अकेले हैं और  आपकी बात भी अकेली है. अकेली बात निराली हुआ करती है .

आपने खुद इतनी टिप्पणियाँ न की होंगी जितनी पोस्टें ब्लॉगजगत के गले में हार की तरह डालदी हैं .
हिन्दू भाई मुझसे कहते हैं कि आप हमारे अन्दर कमियाँ निकालते हो इसलिए हम आपको अपने कमेन्ट नहीं देते लेकिन आप तो उनमें कमियाँ भी नहीं निकलते , फिर आपको वे कमेन्ट क्यों नहीं देते ?
आपके लेखन ने इस ब्लॉगजगत में व्याप्त गुटबाज़ी और सांप्रदायिक मानसिकता को सबके सामने ला खड़ा किया है ,
एक मुसलमान चाहे कितना ही साफ सुथरा और रचनात्मक क्यों न लिखे , उसे ये सांप्रदायिक हिन्दू ब्लॉगर्स उसका वाजिब सम्मान नहीं देंगे .
ये लोग केवल उसी मुसलमान ब्लौगर को सम्मान देते हैं जो इस्लाम में कमियाँ निकालता है.
फिरदौस जी इसकी जीती जागती मिसाल हैं.
वे जब इस्लाम के खिलाफ लिखती थीं तो सारे सांप्रदायिक आस्तिक नास्तिक वाह वाह करने पहुँच जाते थे जिनमें आपको कोटा वाले एक काले कोट वाले बूढ़े वकील भी नज़र आयेंगे और जब उन्होंने....

http://commentsgarden.blogspot.com/2011/04/great-job.html

Monday, April 4, 2011

आखि़र लोगों के अहसास क्यों मरते जा रहे हैं ? Cricket Match

1- आज एक प्रश्न पर विचार किया जा रहा है कि क्या बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए नास्तिक होना ज़रूरी है ?

2- अख़तर ख़ान अकेला साहब की एक पोस्ट भी मन को झिंझोड़ रही है कि आखि़र लोगों के अहसास क्यों मरते जा रहे हैं ?                 http://hbfint.blogspot.com/2011/04/blog-post_9589.html

3- यही सवाल जनाब हकीम यूनुस साहब भी पूछ रहे हैं। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या के मसले को उठाया है।

एक हत्यारी माँ का बेटी के नाम पत्र


जय माता दी.....


http://www.atulshrivastavaa.blogspot.com/
डोंगरगढ  की मां  बम्‍लेश्‍वरी देवी  
मेरी यह पोस्‍ट पिछले साल अक्‍टूबर महीने में प्रकाशित हो चुकी है। इसे आज से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि के मौके पर फिर से प्रकाशित कर रहा हूं। मां बम्‍लेश्‍वरी मंदिर के इतिहास, पौराणिक महत्‍व और मां की महिमा का बखान करती यह पोस्‍ट आपके समक्ष फिर से प्रस्‍तुत है।
http://hbfint.blogspot.com/2011/04/blog-post_3314.html

Sunday, April 3, 2011

'Hindi Twitter' बना, सलीम भाई ने छोड़ दी है हमारी वाणी, क्रिकेट से नुकसान और गुस्से का इलाज देखें आज

1- सभी ब्लौगर भाइयों को पता होना चाहिए कि
हमने एक 'Hindi Twitter' भी बना लिया है.
इस बहाने हम छोटी पोस्ट्स लिखना सीख जायेंगे. हमारे जीवन में छोटी छोटी घटनाएँ बहुत होती हैं , जिन्हें कम शब्दों में कहा जा सकता है.
इन सूचनाओं के लेने देने  से हम अपने लोगों से जुड़े रहते हैं. अपनों से जुड़े रहने का अहसास हमें यह यकीन दिलाता है कि हम सुरक्षित हैं, लोग हमें प्यार करते हैं.
आप इस लिंक पर  हमारे नए ब्लॉग को देख सकते हैं
http://hinditwitter.blogspot.com/2011/04/jadi-buti-cure.html

2- इसी के साथ यह हुआ कि आज हमने अपनी पोस्ट ऑल इण्डिया ब्लॉगर्स एसोसिएशन पर डाली तो वह हमारी वाणी पर नहीं चमकी . जनाब सलीम खान साहब के खाते को देखा तो हमारी वाणी पर उनका कोई भी ब्लॉग  नज़र नहीं आया. लगता है कि उन्होंने अपने ब्लॉग  हमारी वाणी से हटा लिए हैं.
दमकते सौन्दर्य के लिए अचूक नुस्खा Jadi buti cure
3- आज बलॉग  जगत में क्रिकेट टीम द्वारा विश्व कप जीतनेके कारन भरी उत्साह देखा गया. बधियों की पोस्ट्स से हमारी वाणी भर गयी . हमारी वाणी का सौन्दर्य एक जैसी पोस्ट्स से कहीं नष्ट न हो जाए यह सोचकर आज हमने क्रिकेट पर सबसे जुदा एक पोस्ट बना डाली . देखिये :
क्रिकेट के नाम पर हमारा ध्यान असल समस्याओं से हटाया जा रहा है World Cup 2011

4- इंसान के चरित्र का भी विकास होना चाहिए . इसके लिए आज हमने बताया है कि
हदीस में गुस्सा दूर करने के बहुत से तरीक़े बताए गए हैं। जैसे-
‘गुस्सा शैतान की वजह से आता है। शैतान आग से पैदा हुआ है और आग पानी से बुझती है। तो जब किसी को गुस्सा आए तो वह वुजू कर ले (मुंह हाथ वग़ैरह धो ले)।‘ -अबू दाऊद

एक और हदीस में है कि प्यारे नबी (सल्ल.) ने फ़रमाया-
‘जब किसी को गुस्सा आए और वह खड़ा हो तो वह बैठ जाए, अगर गुस्सा जाता रहे तो ठीक है, वरना लेट जाए।‘
           -तिर्मिज़ी, अहमद
एक हदीस में गुस्सा पीने की तारीफ़ इन लफ़्ज़ों में की गई है-
‘अल्लाह के नज़्दीक सबसे अच्छा घूंट वह गुस्सा है, जिसे कोई बंदा अल्लाह की खुशी के लिए पी जाए।‘ -अहमद
http://vedkuran.blogspot.com/2011/04/anger.html

ब्लोगिंग के हर दिल अज़ीज़ हरीश सिंह छा रहे हें इन दिनों

दोस्तों सबसे पहले तो में सभी भाइयों से क्षमा प्रार्थी हूँ ,क्षमा प्रार्थी इस लियें के मेरा अपना स्व्भाव हे अपनी सोच हे और मेरी संस्क्रती मेरी शिक्षा यही हे के किसी के बारे में अगर कोई आदर्श कोई अच्छाई  देखो तो उसे उजागर करो और कोई कमी देखो तो उसे छुपा कर रखो . इसी आदत इसी शिक्षा से में मजबूर हूँ , पिछले दिनों  ब्लोगिंग में खूब उलट पुलट आरोप प्रत्यारोप का दोर चला किसी की खूबियाँ अगर गिनाई गयीं तो उसे चापलूसी और चम्चेवाद  का दोर कहा गया, लेकिन दोस्तों किसी से कुछ अर्जित करने के लियें किसी नालायक की तारीफ हो तो शायद चमचागिरी उसी का नाम हे ,जबकि हमारी ब्लोगर दुनिया में एक से एक हीरो एक से एक पारंगत अज़ीम हस्तियाँ हें जिनके बारे में सच लिखना हर ब्लोगर की मजबूरी होना चाहिए और इसीलियें कुछ दिन ठिठकने के बाद फिर से में भाई हरीश सिंह जी की लेखनी ,मिलनसारी,और अपनेपन से प्रभावित होकर यह पोस्ट लिखने पर मजबूर हुआ हूँ और में यह क्रम जारी रखूंगा . 
दोस्तों उत्तरप्रदेश की काशी प्रयाग लवकुश नगरी यानी लवकुश की जन्म स्थली भदोही में भाई हरीश ने १५ मार्च १९६९ को जन्म लिया और इनका प्रारम्भिक अध्ययन का कार्य भदोही में ही रहा वहां इस धार्मिक नगरी लवकुश जन्मस्थली ने भाई  हरीश सिंह को ऐसे संस्कार दिए के सच का सामना करना, पीड़ितों को न्याय दिलाना ,सच बोलना और सच लिखना ,समाजसेवा करना इनकी आदत में आ गया और यही वजह रही के भाई हरीश जी ने पढाई के साथ साथ ही समाजसेवा और पत्रकारिता का काम शुरू कर दिया था .
हरीश जी १९९० में पत्रकारिता से जुड़ गये कई लेख दुसरे छोटे बढ़े समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए खोजी पत्रकारिता में हरीश जी ने काफी नाम कमाया और १९९४ में हरीश जी पाक्षिक समाचार से जुड़े फिर देनिक समाचार पत्रों से लगातार जुड़े रहने के बाद इन अख़बारों की और मालिकों की हकीक़त जब हरीश जी ने समझी तो यह अख़बारों से अलग हो गये और खुद का एक पाक्षिक अख़बार निकाल लिया, इन दिनों हरीश जी देनिक आज अख़बार में क्राइम रिपोर्टिंग भी कर रहे हें , पत्रकारिता के  जूनून ने हरीश जी को सच का सामना करने ,सच के लियें लढने का साहस  दिया और फिर हरीश जी ब्लोगिंग की दुनिया के अँधेरे को दूर करने आ गये ,
हरीश जी ने ब्लोगिंग की दुनिया में खुद को आलू की तरह एडजस्ट किया  हालात यह रहे के जेसे आलू सभी सब्जियों के साथ अच्छा लगता हे ऐसे ही भाई हरीश सभी ब्लोगरों के साथ सम्बन्ध स्थापित करते रहे इनका स्वभाव रहा, सभी से दोस्ती करो किसी से दुश्मनी या नाराजगी इनके स्वभाव में शामिल नहीं हे और इसीलियें यह दोस्त के भी दोस्त और दुश्मन के भी दोस्त बनते चले गये आज भाई हरीश जी के लेखनी के सभी तलबगार हे और यह जनाब हें के ब्लोगिंग के इस अखाड़े में जब कुछ लोग एक दुसरे को चुनोती दे रहे हें एक दुसरे को पछाड़ने  की तय्यारी में हे तब यह जनाब सभी गुट के मुखियाओं के साथ खड़े मुस्कुराते हें उनकी इस मुस्कुराहट में एक प्यार का संदेश अपनेपन का संदेश छुपा होता हे और इसीलियें भाई सलीम ब्लोगर ने हरीश सिंह को लखनऊ ब्लोगरएसोसिएशन    का गुरु  हनुमान  कहा हे और खुबसुरत मधुर अल्फाजों में उन्हें अपने ब्लॉग पर नवाज़ा भी हे,हरीश सिंह अपनी पत्रकारिता की रूचि के चलते पूर्वांचल प्रेसक्लब के अध्यक्ष भी हे और इसीलियें यह सभी ब्लोगों पर अपने पराये का भेद मिटाकर कोई न कोई टिप्पणी छोड़ने की कोशिश जरुर करते हें और इनके इसी स्वभाव के कारण वोह  आज ब्लोगिंग की दुनिया में अखाड़ेबाजी के बाद भी सभी दिशाओं ,सभी विपरीत विचारधाराओं के ब्लोगरों के आपसी मतभेद होने पर भी सभी ब्लोगर्स  के हर दिल अज़ीज़ बन गये हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्रिकेट से खुन्नस रखने के पीछे मेरे निजी अनुभव हैं Satta and Game

ब्लागिंग यह है, ब्लागिंग वह है। कुल मिलाकर ब्लागिंग मज़ेदार है, असरदार है और जनता के दिल की आवाज़ है। हरेक विषय पर यहां सोच-विचार और वार्तालाप मौजूद है।
ब्लागिंग की तरह ही क्रिकेट पर भी हरेक के अपने अपने विचार हैं। आज ब्लागिंग पर विश्व कप प्राप्ति का चर्चा आम है। लोग आज खुश हैं। खुशी अच्छी चीज़ है और सच्ची खुशी आज भी दुर्लभ है। ज़्यादा लोग वह जानते हैं जो कि सामने से दिखाई देता है जबकि अंदर की हक़ीक़त वे जानते हैं जिनके पास गहरी नज़र है। गहरी नज़र वाले कम हैं और उनकी मानने वाले तो और भी कम हैं। हर जगह ऐसा ही है। ब्लागिंग में भी ऐसा ही है।
क्रिकेट के नाम पर हमारा ध्यान असल समस्याओं से हटाया जा रहा है World Cup 2011

Saturday, April 2, 2011

हमारीवाणी के मार्गदर्शकों का अंधापन आखिर खुल ही गया , उन्हें हमारा नाम भी नज़र नहीं आया .

उसमें जनाब ने  दो जगह कहा है कि
1. शिकायतकर्ता ने अपनी पहचान प्रकट नहीं की है।
2. शिकायतकर्ता ने अपनी पहचान छुपाई है।
यह अफ़वाह क्यों फैलाई जा रही है ?
यह शिकायत जिस ईमेल द्वारा भेजी गई थी उसमें शिकायतकर्ता का नाम ही नहीं बल्कि उसकी जाति तक साफ़ साफ़ लिखी हुई है। सुबह को शिकायत भेजने के बाद जब उसे कोई रेप्लाई नहीं मिला तो उसने इसका ज़िक्र ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर भी किया है।

हमारीवाणी के अंधे मार्गदर्शक और उनके औंधे फैसले

वर्चुअल दुनिया में हक़ ए इज़्हारे राय की आज़ादी के लिए लड़ने वाला अनवर जमाल कभी छिप के शिकायत नहीं किया करता। वह आँखों में आँखें डालकर शिकायत करता है।
ताज्जुब है कि ‘मार्गदर्शक‘ को नज़र ही नहीं आया कि शिकायतकर्ता का नाम क्या है ?
जबकि सारा ब्लॉग जगत शिकायतकर्ता को भी जानता है और इस बात को भी कि उसकी शिकायत का अंजाम होना क्या है ?
क्योंकि आप खुद कह रहे हैं कि ‘संकलक को बलॉगरों के ‘‘बहुमत‘‘ की अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित किया जाए और उस का सौंदर्य बना रहे।‘
बहुमत मीन्स हिन्दू ?
यही तो सारी शिकायत है .
ये जनाब फरमाते हैं किएक ही पोस्ट कई ब्लॉग्स पर एक ही समय में डाली जाती है जिस से संकलक का सौन्दर्य नष्ट होता है , किसी अन्य ब्लॉगर का हक भी मरता है.
हमने तो फेसबुक पर यह देखा है कि एक ही पोस्ट हज़ार जगह पडी है और फेसबुक नहीं  मानती कि उसका सौन्दर्य नष्ट हो रहा है.
एक ही आदमी का फोटो लाखों जगह दिखाई देता है , उसे भी फेसबुक अपनी सुन्दरता को नष्ट करने वाला नहीं मानता.
भारत  का पहला फेसबुक है 'ब्लॉगप्रहरी'.
वह भी ऐसी कोई बात नहीं मानता.
अंतर्राष्ट्रीय फेसबुक हो या भारतीय फेसबुक , दोनों ही के अंधे मार्गदर्शक नहीं हैं इसीलिये वे ऐसे औंधे नियम नहीं बनाते .
क्या वे ब्लॉगर्स के बहुमत की अपेक्षाओं का ध्यान नहीं रखते  ?
ब्लॉगर्स के बहुमत की आड़ लेकर मुसलमानों का शिकार किया जा रहा है और इस तंगनज़री  में वे बेचारे हिन्दू ब्लॉगर्स भी पिस रहे हैं जिन्होंने हिंदी में ब्लॉगिंग करने की गलती की और जिन्होंने साझा ब्लॉग बनाने की गलती की.
जनाब खुशदीप जी फरमाते हैं कि
'हमारी वाणी के लिए हर वक्त मैग्नीफाइंग ग्लास लेकर सभी ब्लॉगरों की पोस्ट पर नज़र रख पाना भी संभव नहीं है'
भाई  साझा ब्लॉग वाले ब्लॉगर्स भी हर दम कंप्यूटर पर सवार नहीं रहते कि पोस्ट आते ही तुरंत जान लें कि किसने कौन सी पोस्ट कितने ब्लॉग्स पर डाली है ?
बहुत जगह तो बिजली सही नहीं आती और बहुत जगहों पर कनेक्टिविटी की  प्रॉब्लम है .
अगर  पानी के जहाज़ में कोई एक भी सूराख हो जाए तो यह नहीं कहा जाता कि यह सूराख बहुमत कि भावनाओं की मंशा पूरी करेगा .
इसी तरह की बेहकीक़त बातें देर सवेर हमारी वाणी का बड़ा गर्क करेंगी.
इस ब्लॉग को निलंबित किया जाना भी इन अंधे मार्गदर्शकों की ही कारस्तानी है.
जबकि इस ब्लॉग पर कॉपी पेस्ट नहीं की जाती बल्कि केवल पोस्ट का लिंक देकर यह बताया जाता है कि किस ब्लॉगर ने कहाँ क्या लिखा है ?
अगर किसी ने पूरी पोस्ट डाली है तो हमने उन्हें टोका भी है और उनकी पोस्ट्स को हटाया भी है और आज फिर बताये  देते हैं कि  इस ब्लॉग पर आप या तो सूचना दें या फिर अपनी पोस्ट का विज्ञापन करें . आप उस पोस्ट का सारांश दें और पोस्ट का लिंक दे दें.
कोई सूचना केवल इसी ब्लॉग के लिए लिख रहे हैं तो आप जितना लंबा चाहे लिखें. ऐसा करेंगे तो आपके ब्लॉग तक भी पाठक पहुंचेंगे और यह ब्लॉग अपने नाम को भी सार्थक करता रहेगा. अश्लील सामग्री यहाँ न दर्शाई जाए.   
हमारीवाणी  के मार्गदर्शकों का विरोध में मनोज पाण्डेय जी की पोस्ट

हमारीवाणी की दादा गिरी

और यह भी देखने योग्य बात है कि श्री रविद्र प्रभात जी पाण्डेय जी से सहमत होने के बजाय मार्गदर्शकों के औंधे फैसलों की सराहना कर रहे हैं . 

कैसी अजीब दुनिया है साहब ?

हमारीवाणी के अंधे मार्गदर्शक और उनके औंधे फैसले

आज मोहतरमा आकांक्षा यादव जी की एक पोस्ट दो शीर्षकों से हमारी वाणी पर दिखाई दे रही है
१- 'अप्रैल फूल दिवस कहाँ से आया.- बाल दुनिया ब्लॉग पर
अप्रैल फूल बनना है क्या - उत्सव के रंग ब्लॉग पर
अब आप इन मोहतरमा के ब्लॉग भी ऐसे ही बिना किसी चेतावनी के बंद कर दीजिये जैसे कि आपने मेरे ब्लॉग बंद किये थे .
वरना आपके बारे में यही समझा जायेगा कि आप फैसला लेने से पहले ब्लौगर का धर्म , लिंग और प्रभाव देखते हैं .
इसी का नाम है वर्चुअल कम्युनालिज्म.

http://balduniya.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
http://utsavkerang.blogspot.com/2011/04/blog-post.html  ------------------------------------------------------यह लैटर आज हमने हमारी वाणी को भेजा है लेकिन अभी तक इसका कोई जवाब नहीं आया है. करना क्या है और होना क्या है ?हम आपको अभी बताये देते हैं.ये लोग पहले तो आपस में सलाह करते रहेंगे और फिर एक नोटिस भेजेंगे आकांक्षा यादव जी को . बस कुल इतना ही ये करेंगे क्योंकि आकांक्षा यादव मुसलमान नहीं है और ये अंधे मार्गदर्शक केवल मुसलमान ब्लॉगर्स की आवाज़ को दबाने के लिए औंधे कायदे बनाते हैं.आकांक्षा यादव जी की दोनों पोस्ट्स पर पहली टिप्पणी करके मुबारकबाद देने वाले हैं 'उड़नतश्तरी वाले समीर लाल जी'.ये हमारी वाणी के मार्गदर्शक भी हैं और एक ही पोस्ट को इन्होने खुद दो जगह पढ़ा और कोई भी ऐतराज़ बिलकुल न किया . यही अंधे मार्गदर्शक हमारी वाणी के डूबने का कारण बनेंगे .जिस दिन यह मार्गदर्शक मंडल बना था ऐसा हमने तभी  कह दिया था क्योंकि इन्हीं पक्षपाती ब्लॉगर्स की धमकियों  से परेशान होकर सिरिल गुप्ता जी ब्लॉगवाणी को बंद करना पड़ा. उन्होंने  इनकी औंधी मांगों को न मानकर खुद इनको ही औंधे मुंह गिरा दिया . इनकी जो चालबाजियां ब्लॉगवाणी ने हमेशा फेल कीं उन्हें हमारीवाणी के मालिकान तो समझ भी नहीं पा रहे हैं .हमारीवाणी को इनके कारण ग्रहण लग चुका है और ये इसे नुकसान के सिवा फायदा कुछ दे नहीं सकते .  

Friday, April 1, 2011

इसे क्‍या कहेंगे आप दीवानगी या कुछ और ?

अतुल श्रीवास्तव 
तस्वीर आपको नज़र आएगी निम्न लिंक पर.

सबसे पहले मैं माफी चाहता हूं, इस तस्‍वीर को अपने ब्‍लाग में लगाने के लिए, लेकिन क्‍या करूं लगाना पडा। फिल्‍मों में हिरोईन कम कपडों में दिखाई देती हैं और अंतरंग दृश्‍य देती हैं, बाद में यह कहकर अपना पल्‍ला झाड लेती हैं कि कहानी की यह मांग थी। मैं भी शायद इसी सोच के साथ इस तस्‍वीर का प्रयोग कर रहा हूं। अब वे हिरोईनें कितना सच बोल रही होती हैं, यह तो मैं नहीं जानता पर मैं यहां सोलह आने सच बोल रहा हूं यह मैं आपको यकीन दिलाता हूं। (इसीलिए मैंने इस तस्‍वीर को निंगेटिव शेड दे दिया है।)  
अब आता हूं मुददे  की बात पर। भारत विश्‍व कप के फायनल में पहुंच गया है। दो अप्रैल को उसका श्रीलंका से मुकाबला है। क्रिकेट पर सटटा लग रहा है, क्रिकेट को लेकर जुनून चरम पर है। कोई व्रत रख रहा है  तो कोई हवन कर रहा है, इस उम्‍मीद में कि भारत विश्‍वकप जीत जाए। 1983 का इतिहास दोहरा दिया जाए। कुल मिलाकर जुनून पूरे चरम पर है। विश्‍वकप में भारत जीते यह हर भारतीय की इच्‍छा है और हर भारतीय विश्‍व कप को इस बार अपने देश में ही रखने की तमन्‍ना रखता है लेकिन इसी बीच एक माडल ने जो बात कही है वह अपने आप में न सिर्फ आपत्तिजनक है बल्कि भारतीय परंपरा के बिल्‍कुल विपरीत भी है।
अब फिर से इस तस्‍वीर पर आता हूं। यह तस्‍वीर है, एक उभरती हुई माडल पूनम पांडे की। किंगफिशर जैसी कंपनियों के लिए विज्ञापन करने वाली पूनम का कहना है कि भारत के विश्‍वकप जीतने पर वह न्‍यूड  होकर अपनी खुशी का इजहार करेगी। वह कहती है कि वह ऐसा टीम इंडिया के हौसले को बढाने के लिए करना चाहती है। अब यह तो पूनम पांडे ही जाने कि यदि टीम विश्‍वकप जीत जाती है तो उसकी इस ‘हरकत’ से टीम का हौसला किस तरह बढ जाएगा। खैर अपनी धुन में मगन पूनम यह भी कहती है कि वह ड्रेसिंग रूप में खिलाडियों के सामने न्‍यूड होगी और यदि सरकार और बीसीसीआई उसे इजाजत दे तो वह स्‍टडियम में भी ऐसा कर सकती है।
विदेशों में इस तरह की घटनाएं आम हैं लेकिन भारत में इस तरह की घोषणा अपने आप में नई बात है और आश्‍चर्यजनक भी। पूनम की इस घोषणा ने यह तो दर्शाया  है कि भारत में क्रिकेट को लेकर दीवानगी किस हद तक है लेकिन क्‍या पूनम की इस तरह की घोषणा भारतीय संस्‍कृति के अनुकूल है। क्‍या किसी को अपनी दीवानगी दिखाने का यही एक तरीका सूझ सकता है।
इस खबर को जब मैंने पढा तो ऐसा लगा कि यह महज क्रिकेट के प्रति दीवानगी की बात  नहीं, कहीं न कहीं प्रचार पाने का तरीका है और मानसिक दीवालिएपन का भी परिचायक है। आप इस बारे में क्‍या सोचते हैं। हर भारतीय चाहता है कि भारत विश्‍वकप जीते लेकिन क्‍या एक भी भारतवासी ऐसा होगा जो यह सोचता होगा कि इसके बाद पूनम की इच्‍छा पूरी हो। ईश्‍वर से यही कामना कि भारत को विश्‍व विजेता बनाए और पूनम को सदबुध्दि दे।

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

5- इंसान का परिचय Introduction
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
http://shakuntalapress.blogspot.com/

13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

24- कुरआन का चमत्कार

25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

26- कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो Greatness of Sita Mata

27- राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

28- लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

30-
अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
Increase traffic

साहित्य की ताज़ा जानकारी

1- युद्ध -लुईगी पिरांदेलो (मां-बेटे और बाप के ज़बर्दस्त तूफ़ानी जज़्बात का अनोखा बयान)
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

2- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

3- आतंकवादी कौन और इल्ज़ाम किस पर ? Taliban
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/taliban.html

4- तनाव दूर करने की बजाय बढ़ाती है शराब
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

5- जानिए श्री कृष्ण जी के धर्म को अपने बुद्धि-विवेक से Krishna consciousness
http://vedquran.blogspot.com/2011/07/krishna-consciousness.html

6- समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/rape.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/no-voilence.html

9- धर्म को उसके लक्षणों से पहचान कर अपनाइये कल्याण के लिए
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

11- विश्व शांति और मानव एकता के लिए हज़रत अली की ज़िंदगी सचमुच एक आदर्श है
http://dharmiksahity.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/07/terrorism-or-peace-what-is-islam.html

14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
http://kuranved.blogspot.com/2010/10/real-mission-of-christ-anwer-jamal.html

15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
http://techaggregator.blogspot.com/

18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

23- दिल तो है लँगूर का

24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

join india