'औरत की हकीक़त' ब्लॉग पर गीता झा की नई पोस्ट
आधुनिकता के साये में उबाऊ दाम्पत्य जीवन
दांपत्य या गृहस्थ -जीवन एक महत्पूर्ण संस्था है जिसमें नर-नारी के निर्मल सामीप्य का समर्थन होता है. कुछ एक अपवाद , विवशता या अति उच्च - स्तरीय आदर्शवादिता के तथ्यों को छोड़ दिया जाये तो दाम्पत्य जीवन सुयोग- संयोग से विकसित एक स्वाभाविक और सरल विकास क्रम - व्यवस्था है.
उपभोत्ता संस्कृति और आधुनिकता ने न केवल व्यक्ति और समाज को ही प्रभावित किया हैं वरन पारिवारिक संस्था की जडें भी हिला कर रख दी हैं.
आधुनिक जीवन शैली , अत्यधिक महत्वकांक्षा और अपना -अपना करियर बनाने का लोभ अपनाते दम्पति , आपस में ज्यादा रूचि नहीं रखते हैं और मजबूरीवश उनका सम्बन्ध केवल एक छत्त के नीचे रहना मात्र ही होता है.
उपभोत्ता संस्कृति और आधुनिकता ने न केवल व्यक्ति और समाज को ही प्रभावित किया हैं वरन पारिवारिक संस्था की जडें भी हिला कर रख दी हैं.
आधुनिक जीवन शैली , अत्यधिक महत्वकांक्षा और अपना -अपना करियर बनाने का लोभ अपनाते दम्पति , आपस में ज्यादा रूचि नहीं रखते हैं और मजबूरीवश उनका सम्बन्ध केवल एक छत्त के नीचे रहना मात्र ही होता है.
...कामकाजी दम्पति अक्सर शीघ्र ही सेक्स से विरक्त हो जाते हैं.
1 comments:
बढ़िया है ब्लॉग और बढ़िया है post.
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