
पहली नजर में आप सोचेंगे कि यह एक ज्वालामुखी है, लेकिन पास से देखने पर ही माजरा समझ में आएगा। तुर्कमेनिस्तान के 70 फीसदी धरती को ढंकने वाले कारकम रेगिस्तान को डोर ऑफ हैल यानी नरक का द्वार कहा जाता है।

सोवियत भूवैज्ञानिकों ने 1971 में यहां प्राकृतिक गैस के स्रोत ढूंढने के
लिए खुदाई शुरू की, लेकिन ड्रिलिंग करते हुए जमीन खिसक जाने खुदाई काम रोक
दिया गया। जमीन में 70 मीटर चौड़ा गड्ढा हो गया और जहरीली गैस निकलना शुरू
हो गई।
http://www.bhaskar.com/article/INT-40-years-of-mysterious-fires-3782369.html?seq=3&PRVNX=
3 comments:
nice presentation.औलाद की कुर्बानियां न यूँ दी गयी होती
nice presentation.औलाद की कुर्बानियां न यूँ दी गयी होती
हिन्दी पखवाड़े की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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बहुत सुन्दर प्रविष्टी!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
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