इस पर हमने यह राय दी है कि
बात यह नहीं है कि फ़ॉर्म की फ़ीस के पैसे न देने से कुल कितनी रक़म की बचत हुई और वह कितनी छोटी या कितनी बड़ी है ?
बल्कि बात यह है कि लड़की को एक विशेष सम्मान उसके लड़की होने के कारण दिया जा रहा है।
यह सम्मान लड़की को घर में भी और बाहर भी हर जगह मिलना चाहिए और रही बात शिक्षा की तो वह तो शासन की ओर से लड़के और लड़की को प्रत्येक स्तर पर बिल्कुल मुफ़्त मिलनी चाहिए।
वर्ना जो मोटा माल शिक्षा पाने में लगाएगा तो फिर वह उसे कई गुना करके वसूलेगा भी, तब कोई यह शोर न मचाए कि ये लोग भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
मोटा माल ख़र्च करके शिक्षा पाई है तो सदाचार के रास्ते पर चलने के लिए तो नहीं ही पाई है।
माल लगाया है तो माल कमाएगा भी।
जो इतनी मोटी फ़ीस नहीं दे पाएगा और उसके बच्चे पीछे रह जाएंगे क्योंकि वह सदाचार पर चलता है। यह देखकर वह भी सदाचार छोड़कर भ्रष्टाचार करेगा और किया जा रहा है ताकि उनके बच्चे आगे बढ़ें।
बच्चे आगे बढ़ रहे हैं और देश पीछे जा रहा है।
लड़कियों की तादाद में कमी का कारण भी यही है कि आदमी बेटी पर ख़र्च करके या उसका दहेज देने के बजाय अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाना चाहता है।
सूदख़ोर सेठों का जीवन स्तर ऊंचा हो रहा है और ख़ुद वे नीचे गिरे हुए हैं।
अजीब हाल है कि व्यक्ति माल और रूतबे में ऊंचा उठ रहा है और आगे बढ़ रहा है और इंसानियत में समाज नीचे और पीछे जा रहा है और जो इन्हें समझाता है, उस पर ये बुद्धिजीवी (?) ऐतराज़ करते हैं।
याद रखिए कि आप ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ के मंच पर मौजूद हैं जो कि आपको ब्लॉग जगत की ताज़ा हलचल के बारे में जानकारी देने के लिए कटिबद्ध है और वक्षबद्ध भी।
यह वक्षबद्ध होना क्या होता है ?
क्या आप नहीं जानते ?
क्या आपने वह गाना सुना है ?
‘...चौड़ी छाती वीरों की‘
जो दूसरों के फटे में टांग अड़ाए, वह कटिबद्ध कहलाता है
और जो उसके बाद उठने वाले बवंडर को फ़ेस करे चौड़ी छाती के बल पर, वह वक्षबद्ध कहलाता है।
कटिबद्ध की गारंटी नहीं है कि वह मैदान छोड़कर नहीं भागेगा लेकिन वक्षबद्ध की गारंटी होती है।
है न मज़ेदार लफ़्ज़
‘वक्षबद्ध होना‘
यहां आपको ऐसी ही नई नई बातें मिलेंगी।
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अतः कहा जा सकता है कि
‘तुम मुझे कमेंट दो मैं तुम्हें धन्यवाद दूंगा‘- अनवर जमाल