Saturday, July 30, 2011

मत देखना इस पोस्ट को Real Solution

अगर आप समस्याओं का ख़ात्मा नहीं चाहते हैं तो...
एक बार फिर ख़बरदार...
सावधान लिंक को टच मत कर देना

हरेक समस्या का अंत आप कर सकते हैं तुरंत Easy Solution


Friday, July 29, 2011

जागरण जंक्शन की सप्ताह की सर्वाधिक देखी गयी पोस्ट

अविनाश वाचस्‍पति जी की यह पोस्ट जागरण जंक्शन की सप्ताह की सर्वाधिक देखी गयी पोस्ट घोषित की गयी है . 

अविनाश जी ! मुबारक हो आपको , आपका यह लेख सचमुच ही अच्छा है . इसे हम अपनी हिन्दी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेश्नल पर पेश कर रहे हैं आज शाम ५ बजे और सोमवार को (१ अगस्त २०११) ब्लॉगर्स मीट वीकली में भी इसे पेश किया जाएगा  , आप सादर आमंत्रित है .

ब्लॉग की ख़बरें Latest News

ब्लॉग जगत में आजकल नारी और पुरुष की चर्चा खूब चल रही है . कुछ दूसरी पोस्ट भी काफी पढ़ी  जा रही हैं . हिन्दी ब्लॉग जगत की सबसे ज्यादा पढी जाने वाली पोस्ट में से कुछ हम लाये हैं आपके लिए . निम्न लिंक्स पर जाकर आप इनका लुत्फ़ उठायें .
आशा है आज इन पोस्ट्स पर कुछ नए पाठक अवश्य पहुंचेंगे.

ब्लॉग की ख़बरें
देखिये HBFI पर
१- ब्लॉग लिखने का तरीक़ा Hindi Blogging Guide (20)
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/hindi-blogging-guide-20.html

 और यह भी
२- ब्लॉगर्स मीट वीकली : एक ऐतिहासिक आयोजन
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_8924.html
३- दोस्तों आज मेरे बढे भाई समीर लाल जी का जन्म दिन है http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_4407.html मुबारक हो समीर लाल जी को बहुत बहुत .

४- मनी मैटर? नो टेंशन, स्कॉलरशिप है न ! -Sapna Kushwaha 
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/sapna-kushwaha.html

५- प्रतिभा का सम्मान है स्कॉलरशिप -Anurag Mishra

६- बर्तनों पर लगी हिन्दू और मुसलमान की मोहर और बालिका अमृता ! भाग १

http://bhartiynari.blogspot.com/2011/07/1.html

७- प्रकृति की पीड़ा कौन सुनेगा ?
http://dpmishra-tiger.blogspot.com/2009/09/blog-post_7731.html

८- क्या हम सेक्स जनित विसंगतियों पर काबू पा सकते हैं?
http://www.amankapaigham.com/2011/07/blog-post_28.html

९- ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly

१०- ये मेरी किस्मत
http://www.hamarivani.com/redirect_post.php?blog_id=1701&post_id=92867&url=mymaahi.blogspot.com%2F2011%2F07%2Fblog-post_29.html

११- अपना आईक्यू जानना है तो...खुशदीप 
http://www.hamarivani.com/redirect_post.php?blog_id=42&post_id=92863&url=feedproxy.google.com%2F%7Er%2Fdeshnama%2FiZss%2F%7E3%2F3abRCjTlMgk%2Fblog-post_29.html

१२- कार्टून:- क्या आपकी नौकरी का भविष्य ऐसा गोल्डन है ? 

http://www.hamarivani.com/redirect_post.php?blog_id=84&post_id=92872&url=

*हिंदी ब्लॉगिंग को बढ़ावा देने के मक़सद से ही
 आपको यह लिंक दिखाए जाते हैं जिन्हें आप अपने मित्रों को फ़ॉरवर्ड कर दिया
 करें ताकि नए लोग हिंदी ब्लॉगिंग से जु़ड़ें। अगर आप भी अपना ब्लॉग संचालित करते हैं
 या आप सामान्य नेट यूज़र हैं और हिंदी ब्लॉगर्स से कोई विचार साझा करना चाहते
 हैं तो आप भी अपनी पोस्ट का लिंक या कंटेंट भेज सकते हैं। उसे भारतीय बलॉग समाचार के ज़रिये ज़्यादा से
 ज़्यादा हिंदी ब्लॉगर्स तक पहुंचा दिया जाएगा। शर्त यह है कि यह कंटेंट
 देशप्रेम की भावना को बढ़ाने वाला और समाज के व्यापक हित में होना चाहिए। हिंदी
 ब्लॉगिंग को सार्थक दिशा देना ही ब्लॉग की ख़बरें का मक़सद है।

 धन्यवाद !

दोस्तों आज मेरे बढे भाई समीर लाल जी का जन्म दिन है



दोस्तों आज मेरे बढे भाई समीर लाल जी का जन्म दिन है उनकी उड़न तश्तरी का जबलपुर से कनाडा तक का सफ़र तो आप सभी को पता है ......अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी ब्लोगिग्न और हिंदी भाषा के खुबसूरत रंग भरने वाले भाई समीर लाल जी को उनके जन्म दिन पर हार्दिक बधाई ..भाई  समीर लाल जी  हर छोटे बढे ब्लॉग पर जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं खट्टे मीठे अनुभव बांटते है और इसीलियें वोह आज हर दिल अज़ीज़ ब्लोगर बन गए है ..कनाडा की एजेक्स , ओटोरियों कम्पनी में सलाहकार का काम कर रहे भाई समीर ब्लोगर्स को भी बहतर प्रदर्शन की सलाह की ज़िम्मेदार बखूबी निभा रहे है ......भाई समीर की उड़नतश्तरी के अलावा लाल और बवाल जुगलबंदी भी ज़ोरों पर है ऐसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्क्रती और हिंदी भाषा के प्रचारक , साहित्यकार , कवि भाई समीर लाल को एक बार फिर उनके जन्म दिन पर हार्दिक बधाई ..उनके कुछ अलफ़ाज़ उनकी ताज़ी रचना में प्रकाशित है इस रचना में उनके एक मुकम्म्मल और अच्छे इंसान होने का दर्पण है जो हू बहु पेश है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चलती सांसो का सिलसिला....

अपनी लम्बी यॉर्क, यू के की यात्रा को दौरान जब अपनी नई उपन्यास पर काम कर रहा था तो अक्सर ही घर के सामने बालकनी में कभी चाय का आनन्द लेने तो कभी देर शाम स्कॉच के कुछ घूँट भरने आ बैठता और साथ ही मैं घर के सामने वाले मकान की बालकनी में रोज बैठा देखता था उस बुजुर्ग को.
उसके चेहरे पर उभर आई झुर्रियाँ उसकी ८० पार की उम्र का अंदाजा बखूबी देती. कुर्सी के बाजू में उसे चलने को सहारा देने पूर्ण सजगता से तैनात तीन पाँव वाली छड़ी मगर उसे इन्तजार रहता दो पाँव से चल कर दूर हो चुके उस सहारे का जिसे उसने अपने बुढ़ापे का सहारा जान बड़े जतन से पाल पोस कर बड़ा किया था. जैसे ही वह इस काबिल हुआ कि उसके दो पैर उसका संपूर्ण भार वहन कर सकें, तब से वो ऐसा निकला कि इस बुजुर्ग के हिस्से में बच रहा बस एक इन्तजार. शायद कभी न खत्म होने वाला इन्तजार.
बालकनी में बैठे उसकी नजर हर वक्त उसके घर की तरफ आती सड़क पर ही होती. साथ उसकी पत्नी, शायद उसी की उम्र की, भी रहती है उसी घर में. वो ही सारा कुछ काम संभालते दिखती. कुछ कुछ घंटों में चाय बना कर ले आती, कभी सैण्डविच तो कभी कुछ और. दोनों आजू बाजू में बैठकर चाय पीते, खाना खाते लेकिन आपस मे बात बहुत थोड़ी सी ही करते. शायद दोनों को ही चुप रहने की आदत हो गई थी या इतने साल के साथ के बाद अकेले में एक दूसरे से कहने सुनने के लिए कुछ बचा ही न हो. कुछ नया तो होता नहीं था. वही सुबह उठना, दिन भर बालकनी में बिताना और ज्यादा से ज्यादा फोन पर ग्रासरी वाले को सामान पहुँचाने के लिए कह देना. पत्नी बीच बीच में उठकर गमलों में पानी डाल देती. उनमें भी जिसमें अब कोई पौधा नहीं बचा था. जाने क्या सोच कर वो उसमें पानी डालती थी. शायद वैसे ही, जैसे जानते हुए भी कि अब बेटा अपनी दुनिया में मगन है, वो कभी नहीं आयेगा- फिर भी निगाह घर की ओर आने वाली सड़क पर उसकी राह तकती.
उनके घर से थोड़ा दूर सड़क पार उसकी पत्नी की कोई सहेली भी रहती थी. नितांत अकेली. कई महिनों में दो या तीन बार इसको उसके यहाँ जाते देखा और शायद एक बार उसे इनके घर आते. जिस रोज वो उसके यहाँ जाती या वो इनके यहाँ आती, उस शाम पति पत्नी आपस में काफी बात करते दिखते. शायद कुछ नया कहने को होता.
अक्सर मेरी नजर अपनी बालकनी से उस बुजुर्ग से टकरा जाती. बस, एक दूसरे को देख हाथ हिला देते. शायद उसने मेरे बारे में अपनी पत्नी को बता दिया था. अब वो भी जब बालकनी में होती तो हाथ हिला देती. हमारे बीच एक नजरों का रिश्ता सा स्थापित हो गया था. बिना शब्दों के कहे सुने एक जान पहचान. मैं अक्सर ही उन दोनों के बारे में सोचा करता. सोचता कि ये बालकनी में बैठे क्या सोचते होंगे?  क्या सोच कर रात सोने जाते होंगे और क्या सोच कर नया दिन शुरु करते होंगे?
मुझे यह सब अपनी समझ के परे लगता. कभी सहम भी जाता, जब ख्याल आता कि यदि इस महिला को इस बुजुर्ग के पहले दुनिया से जाना पड़ा तो इस बुजुर्ग का क्या होगा? मैने तो उसे सिर्फ छड़ी टेककर बाथरुम जाते और रात को अपने बिस्तर तक जाने के सिवाय कुछ भी करते नहीं देखा. यहाँ तक की ग्रासरी लाने का फोन भी वही महिला करती. तरह तरह के ख्याल आते. मैं सहमता, घबराता और फिर कुछ पलों में भूल कर सहज हो जाता हूँ.
मैं भरी दुपहरी अपने बंद अँधेरे कमरे में ए सी को अपनी पूरी क्षमता पर चलाये चार्ल्स डी ब्रोवर की पुस्तक ’फिफ्टी ईयर्स बिलो ज़ीरो’ को पढ़ता आर्कटिक अलास्का की ठंड की ठिठुरन अहसासता भूल ही जाता हूँ कि बाहर सूरज अपनी तपिश के तांडव से न जाने कितने राहगीरों को हालाकान किये हुए है. कितना छोटा आसमान बना लिया है हमने अपना. कितनी क्षणभंगुर हो चली है हमारी संवेदनशीलता भी. बहुत ठहरी तो एक आँसूं के ढुलकने तक.
समय के पंख ऐसे कि कतरना भी अपने बस में नहीं तो उड़ चला. कनाडा वापसी को दो तीन दिन बचे. उस शाम बहाना भी अच्छा था कि अब तो वापस जाना है और कुछ मौसम भी ऐसा कि वहीं बालकनी में बैठे बैठे नियमित से एक ज्यादा ही पैग हो गया स्कॉच का. शराब पीकर यूँ भी आदमी ज्यादा संवेदनशील हो जाता है और उस पर से एक्स्ट्रा पी कर तो अल्ट्रा संवेदनशील. कुछ शराब का असर और कुछ कवि होने की वजह से परमानेन्ट भावुकता का कैरियर मैं एकाएक उन बुजुर्गों की हालत पर अपने दिल को भर बैठा याने दिल भर आया उनके हालातों पर. सोचा, आज जा कर मिल ही लूँ और इसी बहाने बता भी आऊँगा कि दो दिन में वापस कनाडा जा रहा हूँ. एक बार को थोड़ा सा अनजान घर जाते असहजता महसूस हुई किन्तु शराब ने मदद की और मैं अपनी सीढ़ी से उतर कर उनकी सीढ़ी चढ़ते हुए उनकी बालकनी में जा पहुँचा.
वो मुझे देखकर जर्मन में हैलो बोले. जर्मन मुझे आती नहीं, मैने अंग्रेजी में हैलो कहा. हिन्दी में भी कहता तो शायद उनके लिए वही बात होती क्यूँकि अंग्रेजी उस बुजुर्ग को आती नहीं थी. इशारे से वो समझे और इशारे से ही मैं समझा. फिर उनका इशारा पा कर उनके बाजू वाली कुर्सी पर मैं बैठ गया. उनकी गहरी ऑखों में झांका. एकदम सुनसान, वीरान. मैने उनके हाथ पर अपना हाथ रखा. भावों ने भावों से बात की. शायद एक लम्बे अन्तराल के बाद किसी तीसरे व्यक्ति का स्पर्श पा दबे भावों का सब्र का बॉध टूटने की कागर पर आ गया हो. उनकी आँखें नम हो आईं. मैं तो यूँ भी अल्ट्रा संवेदनशील अवस्था में था. अति संवेदनशीलता में शराब आँख से आँसू बनकर टप टप टपकने लगी. बुजुर्ग भी रो दिये और मेरा जब पूरा एक्स्ट्रा पैग टपक गया, तो मैं उठा. उन्हें हाथ पर थपकी दे ढाढस बँधाई और उन्हें नमस्ते कर बिना उनकी तरफ देखे सीढ़ी उतर कर लौट आया.
सुबह उठकर जब उनकी बालकनी पर नजर पड़ी तो वह बुजुर्ग हाथ हिलाते नजर आये. एक बार फिर मेरी आँख नम हुई यह सोचकर कि कल से यह मेरा भी इन्तजार करेंगे हाथ हिलाने को. आँख में आई नमी ने अहसास करा दिया कि कल जो बहा था वो शराब नहीं थी. दिल की किसी कोने से कोई टीस उठी थी उस एकाकीपन और नीरसता को देख, जो आज न जाने उस जैसे कितने बुजुर्गों की साथी है....

ब्लॉगर्स मीट वीकली : एक ऐतिहासिक आयोजन

श्री रूपचंद शास्त्री जी के अध्यक्षीय भाषण के बाद यह सभा सफलतापूर्वक संपन्न हुई। ‘ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित होनी चाहिए‘ यह विचार मूलतः हमारे उस्ताद जनाब उमर कैरानवी साहब का है। हमने तो मात्र उसे अमली जामा ही पहनाया है। अब लोग अपनी संकीर्णता छोड़कर साथ आयें तो कुछ बात बनें।
ब्लॉगर्स मीट वीकली (1) का सदारती खि़ताब यह है


हिन्दी ब्लॉगर्स फोरम इण्टरनेशनल द्वारा आयोजित ब्लॉगर्स मीट वीकली (1) में पधारे सभी सुधि ब्लॉगर पाठकों का में स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ!
इसके आयोजक और संयोजक डा. अनवर जमाल और संचालक के पद पर आसीन बहन ‘प्रेरणा अर्गल‘ ने बहुत ही खूबसूरती से और निष्पक्षता से ब्लॉगों के लिंको का चयन किया है!
मैं चाहता हूँ कि यह वीकली ब्लॉगर मीट हर सप्ताह नये-नये लिंक आपके सामने लेकर आये! जिससे कि उन ब्लॉगरों के ब्लॉगों का भी परिचय हिन्दी ब्लॉग जगत को हो जो कि अभी नये हैं या टिप्पणियों के लिए तरस जाते हैं!
आशा है कि यह ब्लॉग की गंगा सर्दी-गर्मी और बरसात यानि हर मौसम मे निरन्तर बहती रहेगी!
शूभकामनाओं सहित-
 आपका
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"

ब्लॉगर्स मीट वीकली ( 1 ) A virtual step to be unite .

Thursday, July 28, 2011

इंसानियत , भाईचारा सद्भावना मेरे ब्लोगर भाइयों के दिलों तलाशी है

Wednesday, July 27, 2011

धोबी जो छाप रहा है अख़बार अपने हाथ से Press

हिंदुस्तान में धोबी पर एक कलंक है उस दिन से जब से एक धोबी ने सीता जी के बारे में उल्टा सीधा कह दिया था। बहरहाल उस धोबी के बर्ताव से पता चलता है कि धोबी एक अच्छा पत्रकार बन सकता है। उसे दुनिया जहान की बातों में इंटरेस्ट जो होता है।
श्री गौरी शंकर रजक एक ऐसे ही धोबी हैं जो एक अख़बार के एडिटर भी हैं। सुविधा पास नहीं है छापने की तो वे अपने हाथ से ही निकाल देते हैं पूरा अख़बार।
उन्हें राष्ट्रपति के. आर. नारायणन द्वारा सम्मानित भी किया गया। ऐसे ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार तो धूल फांक रहे हैं और बात का बतंगड़ बना कर पेश करने वाले पूरे के पूरे न्यूज़ चैनल चला रहे हैं।
देखिए ईमानदारों का हाल और सोचिए कि यह हाल देखकर क्या ईमानदारी में किसी को अपना भविष्य सुरक्षित नज़र आ सकता है इस देश में ?
...सोचिए इस हालत को बदलने का तरीक़ा ‘शहरोज़ भाई की स्टोरी‘ पढ़कर

Kuchh Dil Se...: हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड : मेरी नज़र से (भाग 4)

पासवर्ड सुरक्षा से संबन्धित सावधानियाँ, ब्लॉगिंग के बुनियादी उसूल
नए ब्लॉगर की समस्याएँ और जीमेल पे अकाउंट कैसे बनाएँ... ?

साथ ही साथ पढ़ें श्री रूपचन्द शास्त्री जी, श्री देवेंद्र गौतम जी, और श्री अयाज़ अहमद जी का परिचय... इतना सब कुछ मेरी नज़र से...

हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड : मेरी नज़र से (भाग 4)

महेश बारमाटे "माही"

तन सुंदर मन पापी भी होता है ‘नारी‘ का Veshya

नारी त्याग की मूर्ति होती है, वह मां, बहन, बेटी और पत्नी होती है। अक्सर औरतें ख़ुद को इन्हीं रूपों में गौरवान्वित भी समझती हैं लेकिन औरत का एक रूप और भी है जिसे तवायफ़ और वेश्या कहा जाता है। ये औरतें पैसों के लालच में अपने नारीत्व का अपमान करती हैं। ये किसी नैतिक पाबंदी को नहीं मानती हैं।
इनका मानना है कि हम अपनी मनमर्ज़ी करने के लिए आज़ाद हैं। हमें नैतिकता का उपदेश देना बंद कर दिया जाए।
यही शब्द इनकी पहचान हैं।
इनका बदन ही इनकी दुकान हैं।
मर्द इनके लिए ग्राहक है।
पुलिस इनके लिए घातक है।
ऐसी औरतें जब उपदेश से नहीं मानतीं तो फिर ये पुलिस के द्वारा धर ली जाती हैं।
पिछले दिनों एक के बाद एक ऐसे कई सेक्स रैकेट पकड़े गए हैं।
इनके सपोर्टर समाज में बहुत ऊंचे ओहदों पर बैठे हुए हैं। इनके कुकर्मों के समर्थन में आपको ‘नारी‘ भी मिल जाएगी।
इन बुरी औरतों की कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं और उन्हें हल किया जाना चाहिए लेकिन ये औरतें भी कुछ समस्याएं पैदा कर रही हैं समाज में, उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
भले घर की औरतें इनके चक्कर में सताई जा रही हैं।
ये लड़कियां भी भले घर की औरतों का रूप धारण करके ही समाज में विचरण करती हैं।
क़ानून से इन्हें डर लगता है लेकिन मोटी आमदनी का लालच उस डर को काफ़ूर कर देता है। इसका इलाज क़ानून के पास नहीं है। इसका इलाज धर्म के पास है लेकिन बुद्धिजीवी होने का ढोंग रचाने वालों ने कह दिया है कि ईश्वर और धर्म सब दक़ियानूसी बातें हैं।
बस , इस तरह नैतिकता की जड़ ही काट डाली।
बहरहाल जो घटना घटी है निम्न लिंक पर क्लिक करके आप उस पर एक नज़र डाल लीजिए और सोचिए कि सीता और गीता का भारत किस तरफ़ जा रहा है ?

कॉन्ट्रैक्ट पर आती हैं लड़कियां, 1 दिन की कमाई 1 लाख - पंकज त्यागी


...और अंत में एक सवाल ‘स्लट वॉक‘ करने वाली माताओं और बहनों से भी करना चाहूंगा कि आप अपनी समस्याओं से परेशान होकर ‘स्लट वॉक‘ करना चाहती हैं लेकिन आपसे पहले यह ‘स्लट वॉक‘ जिन देशों में की गई है, क्या उन देशों की औरतें ऐसा वॉक करने के बाद अपनी समस्याओं से मुक्ति पा चुकी हैं ?
ऐसा कोई भी काम जो औरत को सार्वजनिक तौर पर नंगा करे, हमारी नज़र में वह नारी की मर्यादा के अनुकूल नहीं है और जिसकी नज़र में हो तो वह बताए कि हम कहां ग़लत हैं ?
औरत का दिल नाज़ुक जज़्बात का आईनादार है। दूसरे तो उस पर ज़ुल्म कर ही रहे हैं, वह ख़ुद पर ज़ुल्म ढाने के लिए क्यों आमादा है ?

Tuesday, July 26, 2011

आपके ब्लॉग के लिए एक बेहतरीन साइट Navbharat Times

जी हां, नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर अब आप भी अपना ब्लॉग बना सकते हैं। जब आप वहां जाएंगे तो बहुत से नए ब्लॉगर्स साथ मिलेंगे आपको कुछ जाने पहचाने चेहरे, जिनमें से एक चेहरा है डा. अनवर जमाल का।
इस साइट पर इनके ब्लॉग का नाम है ‘बुनियाद‘।
आज इनकी पोस्ट को इस साइट पर तीनों सूचियों में शानदार जगह मिली है।
1. सुपर हिट पोस्ट्स
2. टॉप रेटेड पोस्ट्स
3. सबसे ज़्याद चर्चित पोस्ट्स

अगर आप भी चाहते हैं कि आपको नए पाठक मिलें और ज़रा सलीक़े के पाठक मिलें तो आपको यह साइट ज़रूर ज्वाइन करनी चाहिए क्योंकि सलीम ख़ान साहब कह रहे थे कि जितनी बड़ी तादाद में ब्लॉगर्स ने इस साइट पर धावा बोल दिया है, उसे देखते हुए हो सकता है कि इस साइट पर ब्लॉग बनाने के नियम कड़े कर दिए जाएं।
इस साइट तक आप जा सकते हैं इस लिंक के ज़रिये

बुनियाद

 डा. अनवर जमाल ख़ान

दारूल उलूम देवबंद में चल रहे संघर्ष की असली कहानी

दिल दहल जाएगा , दिल भर आएगा आपका

अगर आप जानेंगी कि जब निक इस दुनिया में पैदा हुआ तो वह एक ऐसा बच्चा था जैसा कि अपने बच्चे को कोई भी मां-बाप नहीं देखना चाहते। इसके बावजूद निक ने ज़िंदगी की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया। आज वह अपनी बीवी और अपने बच्चों के साथ संतुष्ट जीवन गुज़ार रहा है।
निक का जीवन हमें प्रेरणा देता है। हमें उन नेमतों की क़द्र करनी चाहिए जो कि हमें मालिक ने बख्शी हैं और भरपूर बख्शी हैं।
निक का  वीडियो भी है जिसे देखने के लिए आपको जाना होगा रेखा जी के ब्लॉग पर



रेखा जी, आप ऐसे ही प्रेरक प्रसंग अपने ब्लॉग पर लगाती रहें। आपका ब्लॉग इंसान को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है।



हमारी तरफ़ से आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं !!!

Monday, July 25, 2011

क्या महिलाएं अपने से कम पढ़े -लिखे और कम हैसियत-दार से शादी के लिए तैयार हैं ?

भारतीय समाज जहाँ एक उक्ति आमतौर पर प्रचलित है कि-''बहू अपने से नीचे घर से लाओ और बेटी को अपने से ऊँचे घर में दो .''पता है ये किस लिए  सिर्फ इसलिए कि जिससे बहु और बेटी अपने अपने घर में सेवा भाव लेकर जाएँ .आज इस उक्ति का अनुसरण कितने लोग कर रहे हैं मेरे विचार में शायद कुछ दिल के हाथों मजबूर ही इसका अनुसरण कर रहे हैं नहीं तो अधिकांशतया आज के युवक अपने से ऊँचे घरों की लड़कियों से ही विवाह की इच्छा रखते हैं किन्तु यदि आज की युवतियों की बात करें तो स्थिति थोड़ी भिन्न कही जा सकती है .युवतियां जहाँ उनकी इच्छा कहें या राय पूछी जाती है या जहाँ वे अपना जीवनसाथी स्वयं चुनती है वहां उनकी प्रमुखता एक ऐसे युवक की रहती है जो उन्हें बहुत प्यार करे व् उनकी इच्छा के अनुसार ही चलने को तैयार हो .ऐसा केवल आज ही नहीं हो रहा है पहले भी ऐसा हुआ है .भारत का सबसे लोकप्रिय राजनीतिक परिवार में इंदिरा गाँधी और प्रियंका गाँधी दोनों ही के विवाह प्रेम विवाह हैं और दोनों ही की तुलना में  उनके पति का रसूख यदि कहा जाये तो कुछ भी नहीं है .आज योग्यता पढाई लिखाई व् रसूख पर हावी हो रही है और मेरे विचार में युवतियां युवकों की योग्यता को अपने जीवनसाथी के चयन में ज्यादा तरजीह दे रही हैं .इसके साथ ही साथ आज दो बातें जो आज के युवकों के लिए युवतियों की पसंद में सम्मिलित हो चुकी हैं वे हैं युवक की अधिक तनख्वाह व् उसका अपने घर से अलग रहना क्योंकि आम तौर पर आज की युवतियां अपने जीवनसाथी के परिवार की जिम्मेदारी एक बोझ स्वीकार कर चलती हैं क्योंकि आज भारत में लगभग एकल परिवार का चलन है और अकेले परिवार में रहने वाले बच्चे जब अपने माँ-बाप को उनके माँ-बाप से अलग चैन से रहते देखते हैं तो अपने भविष्य में भी पहले से ही पृथक रहने की ही सोचकर चलते हैं और अपने जीवनसाथी के परिवार को मात्र एक बोझ मानते हैं इसीलिए जहाँ तक मेरा विचार है आज की युवतियां अपने जीवन साथी की अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी और उसके अलग रहने को महत्व देती हैं वहीँ आपका क्या विचार है ?
आप अपने विचारों से टिप्पणी के माध्यम से अवगत कराएँ .
                       शालिनी कौशिक
[भारतीय नारी ब्लॉग से जुड़ें ]

ब्लॉगर्स मीट वीकली A virrtual step to be unite .

इसका आयोजन ‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ पर चल रहा है बड़े मज़े से,
कौन कौन आया है ?
और कौन क्या कह रहा है ?
और इस सभा की अध्यक्षता कर रहा है कौन ?
इनका जवाब दे रहा है यह लिंक होकर मौन !
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/1-virrtual-step-to-be-unite.html

दुनिया के कोने कोने में इस आयोजन को देखा जा सकता है और देखने वाले देख ही रहे हैं।

Sunday, July 24, 2011

लेडी रचना के खि़लाफ़ बोलना गुनाह है क्या ? Revamp

...क्योंकि जो भी उनकी बुराई करेगा वह उसकी सदस्यता ‘नारी‘ ब्लॉग से समाप्त कर देंगी।
ऐसा दावा किया है उन्होंने अपनी एक नई पोस्ट में।
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/07/blog-post_24.html
इसी पोस्ट में उन्होंने दावा किया है कि उन महिला ब्लॉगर्स की सदस्यता भी समाप्त की जाएगी जो कि इधर उधर जाकर ‘नारी‘ ब्लॉग के बारे में सुझाव देती हैं कि इसमें यह और यह बातें और होनी चाहिएं।
यह सब काम वे कितने अर्से में करेंगी इसका कोई ज़िक्र उन्होंने इस पोस्ट में नहीं किया है। इसका ज़िक्र उन्होंने एक और जगह किया है और उसका लिंक यह है।
http://vicharonkachabootra.blogspot.com/2011/07/blog-post_23.html
ब्लॉग के लिए सलाह और सुझाव देना और साझा ब्लॉग के संचालक को उसकी ग़लत पॉलिसी पर टोकना क्या इतना बड़ा जुर्म है कि ब्लॉगर्स की सदस्यता ही समाप्त कर दी जाए ?
यह महिला ब्लॉगर्स को डराने की एक नाकाम कोशिश है या फिर अपना शक्ति प्रदर्शन ?
यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन फ़िलहाल ‘नारी‘ के रीवैम्प की तैयारी जारी है।
यह है हिंदी ब्लॉग जगत की ताज़ा हलचल जिसे आपके सामने पूरी निर्भीकता के साथ पेश कर रहा है ‘ब्लॉग की ख़बरें‘
यदि आप भी ऐसी ही कोई सूचना यहां प्रकाशित कराना चाहते हैं तो उसे भेज दीजिए ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ को एक शीर्षक लिखकर ‘ब्लॉग की ख़बरें में प्रकाशनार्थ‘
। blogkikhabren@gmail.com

अली अहमर ने जीता 5 हज़ार का ईनाम Ali Ahmar

अली अहमर की उम्र अभी मात्र डेढ़ साल है और ‘केरल किड्ज़ क्लब‘ द्वारा आयोजित ‘समर कॉन्टेस्ट‘ में सब पर बाज़ी मार ली है।
यह सूचना हमें उनके पापा जनाब मुनव्वर अली साहब ने दी है जो कि एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और आजकल दिल्ली में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
आप भी देखिए एक विजेता मासूम की तस्वीरें और साथ में दूसरे विजेताओं को भी, निम्न वेबसाइट पर :
http://www.keralakidsclub.com/winners

क्या लेडी रचना का यह फ़ैसला दुरूस्त है ?

लेडी रचना ने शिखा कौशिक जी और शालिनी कौशिक जी, दोनों को ही ‘नारी‘ ब्लॉग से आउट कर दिया।
कारण ?
कारण केवल यह है कि लेडी रचना उन दोनों पर अपनी पसंद-नापसंद थोप रही थीं। वे जिस आदमी को नापसंद करती हैं, उसके ब्लॉग में वे लेख लिखती हैं।
लेकिन सवाल यह है कि उन्होंने बलि चढ़ाने के लिए ये दो ब्राह्मण कन्याएं ही क्यों चुनीं ?
उस आदमी के ब्लॉग में तो बहुत सी प्रतिष्ठित साहित्यकाराएं तक शामिल हैं।
बात यह है कि तानाशाही की चक्की में अपेक्षाकृत कमज़ोर ही पीसे जाते हैं। ये दोनों बहनें अपेक्षाकृत नई हैं और किसी गुट में भी नहीं हैं। ख़ुशामद और चापलूसी भी इनके मिज़ाज में नहीं है लिहाज़ा इन्हें पीसने के बाद लेडी रचना को किसी तूफ़ान के उठने की उम्मीद नहीं है।
नारी अधिकारों के लिए लड़ने का दावा करने वाली लेडी रचना ने दो नारियों की व्यक्तिगत पसंद-नापसंद के अधिकार का और राय की आज़ादी के इज़्हार के हक़ का ख़ून कर डाला और इस तानाशाही को नाम दिया इंसाफ़ का।
अगर यही इंसाफ़ है तो दो के साथ ही यह बर्ताव क्यों जबकि यह जुर्म तो और भी नारियां कर रही हैं और फिर भी वे ‘नारी‘ ब्लॉग में लिख रही हैं ?
आप बताएं कि क्या लेडी रचना का यह क़दम ब्लॉगिंग और इंसानियत के लिहाज़ से ठीक है ?
इसी के साथ यह भी देख लीजिए कि बोलते समय वे किस तरह की गालियों और मुहावरों का प्रयोग करती हैं ?
क्या इस तरह की अहंकारपूर्ण अभद्र भाषा बोलने वाली महिला को अपने लिए किसी सम्मान की आशा रखनी चाहिए ?
पूरी तफ़्सील जानने के लिए देखिए शिखा कौशिक जी की रिपोर्ट

रचना जी का शुक्रिया -नारी ब्लॉग से हटाने के लिए

Saturday, July 23, 2011

श्री रूपचंद शास्त्री ‘मयंक‘ जी

ब्लॉगर्स मीट वीकली की पहली सभा की अध्यक्षता करेंगे।
पूरे विवरण के लिए देखिए निम्न पोस्ट

श्री रूपचंद शास्त्री ‘मयंक‘ जी की अध्यक्षता में होगी ‘ब्लॉगर्स मीट वीकली‘ President

"शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय" ब्लॉग की मूल भावना

दोस्तों, मेरे इस ब्लॉग "शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय" पर बहुत कम कहूँ या बिल्कुल भी पोस्ट प्रकाशित नहीं होगी. आप एक "पुस्तकालय" के रूप में ही प्राथिमकता दें. इस "पुस्तकालय" पर अभी शोध कार्य हो रहे है. इसका अवलोकन करके अपने अनुभवों/सुझाव का मुझे लाभ दें. फ़िलहाल इसमें अपने शोध कार्य में गुण-अवगुणों के आधार पर या यह कहूँ जितनी जानकारी हुई है. उसी आधार इसमें लिंक और ब्लोगों शामिल किया गया/जाएगा. "पुस्तकालय" और पाठकों की आवश्कता को देखते हुए इसमें अन्य ब्लॉग और लिंक शामिल भी करें जायेंगे. आप एक दो या ज्यादा गलतियों की मेरा ध्यान आकर्षित करें और कुछ ब्लॉग और लिंकों के विषय में बताकर योगदान करें. इसमें कुछ ऐसे लिंकों को शामिल करने का मन है. जो आम-आदमी कहूँ या एक गरीब पीड़ित व्यक्ति को अगर वो लिंक मिल जाता है. तब उसका जीवन या उसकी परेशानियां कम हो सकें. जैसे-आज से लगभग एक साल पहले मुझे तीसरा खम्बा ब्लॉग पर जाकर एक अच्छी सलाह और जानकारी प्राप्त हुई थी. धन के लिए जीवन नहीं किन्तु जीवन के लिए धन है. मुझे धन से अधिक मोह भी नहीं है. अगर मैं धन के लिए अपनी पत्रकारिता का प्रयोग करता. तब आज करोड़पति होता, मगर मुझे आज अपनी गरीबी पर संतोष है. मैं देश व समाजहित में अच्छे कार्य करके अपने जीवन की सार्थकता साबित करना चाहता हूँ और शायद कुछ अन्य लोग भी प्रेरणा लेकर देश व समाजहित में अच्छे कार्य करें. अगर आप उपरोक्त "पुस्तकालय" में बैठकर कुछ ज्ञान प्राप्त करलें और जागरूक हो जाए. तब इस "पुस्तकालय" को बनाने का उद्देश्य सार्थक हो जाएगा. इस "पुस्तकालय" में आप अनुसरणकर्त्ता बनकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर मेरा आप समर्थन कर सकते हैं.
                    आप स्वस्थ मानसिकता से तर्क-वितर्क करें. तब मैं आपसे स्वस्थ बहस करने के लिए तैयार हूँ और मेरी कमियों की निडर होकर आलोचनात्मक टिप्पणी करें. मुझे खुद अपनी कमी (गलती) दिखाई नहीं देंगी. जिस तरह से फूलों के साथ काँटों का होना स्वाभाविक है, ठीक उसी तरह अच्छाइयों के साथ बुराइयों का होना भी स्वाभाविक है. लेकिन हर मनुष्य में योग्यता है कि वो अपनी बुराइयों को जानकर उनको अच्छाइयों में बदलने का प्रयास कर सकता है,क्योंकि संत कबीर दास जी कहते हैं कि "निंदा करने वाले व्यक्ति को शत्रु न समझकर 'सच्चा मित्र' ही मानिए. उसे सदा अपनी समीप रखिए, यहाँ तक कि उसके लिए अपने आंगन में झोंपड़ी बनाकर उसके रहने की व्यवस्था कर दीजिए यानि उसके लिए सब सुविधायें जुड़ा दीजिए" इसका लाभ यह है कि-"निंदा करने वाला व्यक्ति पानी और साबुन के बिना ही आपके स्वभाव और चरित्र को धो-धोकर निर्मल बना देगा" तात्पर्य यह है कि "निंदा के भय से व्यक्ति सज़ग रहेगा, अच्छे काम करेगा और इस प्रकार उसका चरित्र अच्छा बना रहेगा"
सच लिखने हेतु  हर पल मौत से लड़ना होता है
कबीरदास जी अपने एक अन्य दोहे में कहते हैं कि-"ऊँचे कुल में जन्म लेने से ही कोई ऊँचा नहीं हो जाता. इसके लिए हमारे कर्म भी ऊँचे होने चाहिए. यदि हमारा कुल ऊँचा है और हमारे कर्म ऊँचे नहीं है, तब हम सोने के उस घड़े के समान है. जिसमें शराब भरी होती है. श्रेष्ठ धातु के कारण सोने के घड़े की सब सराहना करेंगे.लेकिन यदि उसमें शराब भरी हो तब सभी अच्छे लोग उसकी निंदा करेंगे. इसी तरह से ऊँचे कुल की तो सभी सराहना करेंगे,  लेकिन ऊँचे कुल का व्यक्ति गलत कार्य करेगा. तब उसकी निंदा ही करेंगे.

जरूरत पड़ने पर अखबार भी स्वयं 
बेचना होता है,  क्योंकि सच बिकता
नहीं, छुपा या दबा दिया जाता है
क्या पत्रकार केवल समाचार बेचने वाला है? नहीं. वह सिर भी बेचता है और संघर्ष भी करता है. उसके जिम्मे कर्त्तव्य लगाया गया है कि-वह अत्याचारी के अत्याचारों के विरुध्द आवाज उठाये. एक सच्चे और ईमानदार पत्रकार का कर्त्तव्य हैं, प्रजा के दुःख दूर करना, सरकार के अन्याय के विरुध्द आवाज उठाना, उसे सही परामर्श देना और वह न माने तो उसके विरुध्द संघर्ष करना. वह यह कर्त्तव्य नहीं निभाता है तो वह भी आम दुकानों की तरह एक दुकान है किसी ने सब्जी बेच ली और किसी ने खबर.
मेरा  नाम "सिरफिरा" है. मेरे ब्लॉग "सिरफिरा-आजाद पंछी" और "रमेश कुमार सिरफिरा"  मेरे अन्य ब्लॉग सच्चा दोस्त, आपकी शायरी, मुबारकबाद, आपको मुबारक हो, शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन, सच का सामना(आत्मकथा), तीर्थंकर महावीर स्वामी जी, शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय और(जिनपर कार्य चल रहा है>>>शकुन्तला महिला कल्याण कोष, मानव सेवा एकता मंच एवं  चुनाव चिन्ह पर आधरित कैमरा-तीसरी आँख  हैं) 
कैमरा-तीसरी आँख  वाला ब्लॉग एक-आध महीना लेट हो सकता लेकिन उस पर अपने लड़े दोनों चुनाव की प्रक्रिया और अनुभव डालने का प्रयास कर रहा हूँ.जिससे मार्च 2012 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव होने है और मेरी दिली इच्छा है कि इस बार पहले से ज्यादा निर्दलीय लोगों को चुनाव में खड़ा होने के लिए प्रेरित कर सकूँ. पिछली बार 11 लोगों की मदद की थी. जब आम-आदमी और अच्छे लोग राजनीती में नहीं आयेंगे. तब तक देश के बारें में अच्छा सोचना बेकार है. मेरे ब्लॉग से अगर लोगों को जानकारी मिल गई. तब शायद कुछ अन्य भी हौंसला दिखा सकें. मेरे अनुभव और संपत्ति की जानकारी देने से लोगों में एक नया संदेश भी जाएगा.
दोस्तों आप पूरा लेख यहाँ  "शकुन्तला प्रेस" का व्यक्तिगत "पुस्तकालय" क्यों? पढ़ सकते हैं.
इस पोस्ट को इस ब्लॉग पर भी देखा जा सकता है 

हिंदी ब्लॉग टिप्स Hindi Blog Tips

एक अच्छा ब्लॉग है।
इसकी ख़बियां इतनी हैं कि उन्हें बताने के लिए केवल शब्द काफ़ी नहीं हैं बल्कि आपको ख़ुद इस साइट पर जाकर देखना चाहिए।
उनकी एक पुरानी पोस्ट का लिंक हम यहां दे रहे हैं जिसके ज़रिये आप अपने ब्लॉग में हिंदी टाइपिंग टूल चस्पां कर सकते हैं। नई पोस्ट देखना आपकी ज़िम्मेदारी है और लौटकर बताना कि वहां से आपने क्या फ़ायदा उठाया ?

रविकर जी किससे और क्या कह रहे हैं आज ?

Friday, July 22, 2011

‘सत्य की खोज‘ Literature


आज मुझे भाई तनवीर अहमद साहब ने एक ईमेल भेजी है। ईमेल में मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान साहब का संक्षिप्त परिचय है और साथ में उनके कुछ लिट्रेचर के लिंक भी सलग्न हैं। जो लोग पढ़ने के शौक़ीन हैं और ‘सत्य की खोज‘ में हैं, उनके लिए ये दोनों ही किताबें फ़ायदेमंद हैं। इसीलिए ईमेल से मिले ये दोनों लिंक यहां ज्यों के त्यों पेश किए जाते हैं और साथ में 

Maulana Wahiduddin Khan is an Islamic spiritual scholar who has
adopted peace as the mission of his life.  Known for his Gandhian
views, he considers non-violence as the only method to achieve
success. Internationally recognized for his contributions to world
peace, he has received, among others, the Demiurgus Peace
International Award, the Padma Bhushan, the Rajiv Gandhi National
Sadbhavna Award and the National Citizen's Award.
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Islam Rediscovered.pdfIslam Rediscovered.pdf
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कौन होता है सच्चा जैन?

 "जैन" कोई जाति नहीं,धर्म है.जैन-धर्म के सिध्दांतों में जो दृढ विश्वास रखता है और उनके अनुसार आचरण करता है, वही सच्चा जैन कहलाता है. जैन का जीवन किस प्रकार से आदर्श होना चाहिए, यह प्रस्तुत प्रकरण में दिखाया गया है.

1. जो सकल विश्व की शान्ति चाहता है, सबको प्रेम और स्नेह की आँखों से देखता है, वही सच्चा जैन है.

2. जो शान्ति का मधुर संगीत सुनाकर सबको ज्ञान का प्रकाश दिखलाता है, कर्त्तव्य-वीरता का डंका बजाकर प्रेम की सुगंध फैलाता है, अज्ञान और मोह की निंदा से सबको बचाता है, वही सच्चा जैन है.

3. ज्ञान, चेतना की गंगा बहाने वाला मधुरता की जीवित मूर्ति कर्त्तव्य-क्षेत्र का अविचल वीर योध्दा है, वही सच्चा जैन है.

4. जैन का अर्थ अजेय है, जो मन और इन्द्रियों के विकारों को जीतने वाला, आत्म-विजय की दिशा में सतत सतर्क रहने वाला है, वही सच्चा जैन है.

5. 'जैनत्व' और कुछ नहीं आत्मा की शुध्द स्थिति है. आत्मा को जितना कसा जाए, उतना ही जैनत्व का विकास. जैन कोई जाति नहीं धर्म है. न किसी भी देश, पन्थ और जाति का है. कोई आत्म-विजय के पथ का यात्री है, वही सच्चा जैन है.

6. जैन बहुत थोडा, परन्तु मधुर बोलता है, मानो झरता हुआ अमृतरस हो! उसकी मृदु वाणी,कठोर-से कठोर ह्रदय को भी पिघला कर मक्खन बना देती है! जैन के जहाँ भी पाँव पड़ें, वहीँ कल्याण फैल जाए! जैन का समागम, जैन का सहचार सबको अपूर्व शांति देता है! इसके गुलाबी हास्य के पुष्प, मानव जीवन को सुगन्धित बना देते हैं! उसकी सब प्रवृत्तियां, जीवन में रस और आनंद भरने वाली है, वही सच्चा जैन है.

7. जैन गहरा है, अत्यंत गहरा है. वह छिछला नहीं, छिलकने वाला नहीं. उसके ह्रदय की गहराई में,शक्ति और शांति का अक्षय भंडार है. धैर्य और शौर्य का प्रबल प्रवाह है.जिसमें श्रध्दा और निर्दोष भक्ति की मधुर झंकार है, वही सच्चा जैन है.

8. धन वैभव से जैन को कौन खरीद सकता है? धमकियों से उसे कौन डरा सकता है? और खुशामद से भी कौन उसे जीत सकता है? कोई नहीं, कोई नहीं. सिध्दांत के लिए काम पड़े तो वह पल-भर में स्वर्ग के साम्राज्य को भी ठोकर मार सकता है. 
 
9. जैन के त्याग में दिव्य-जीवन की सुगंध है. आत्म-कल्याण और विश्व-कल्याण का विलक्षण मेल है. जैन की शक्ति, संहार के लिए नहीं है. वह तो अशक्तों को शक्ति देती है, शुभ की स्थापना करती है और अशुभ का नाश करती है. सच्चा जैन पवित्रता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मृत्यु को भी सहर्ष सानन्द निमंत्रण देता है. जैन जीता है, आत्मा के पूर्ण वैभव में और मरता भी है वह आत्मा के पूर्ण वैभव में.
 
10.  जैन की गरीबी में संतोष की छाया है. जैन की अमीरी में गरीबों का हिस्सा है.

11.  जैन आत्म-श्रध्दा की नौका पर चढ़ कर निर्भय और निर्द्वन्द्व भाव से जीवन यात्रा करता है.विवेक के उज्जवल झंडे के नीचे अपने व्यक्तित्व को चमकता है. राग और द्वेष से रहित वासनाओं का विजेता 'अरिहंत' उसका उपास्य है. हिमगिरी के समान अचल एवं अडिग जैन दुनिया के प्रवाह में स्वयं न बहकर दुनियां को ही अपनी ओर आकृष्ट करता है. मानव-संसार को अपने उज्जवल चरित्र से प्रभावित करता है.अतएव एक दिन देवगण भी सच्चे जैन की चरण-सेवा में सादर सभक्ति मस्तक झुका देते हैं?

12.  जैन बनना साधक के लिए परम सौभाग्य की बात है. जैनत्व का विकास करना, इसी में मानव-जीवन का परम कल्याण है. "राष्ट्र" संत-उपाध्याय कवि श्री अमर मुनि जी महाराज द्वारा लिखित "जैनत्व की झाँकी" से साभार

कौन आदर्श जैन?

अनम को गुज़रे हुए आज एक साल हो गया है Flower Of Jannah

आज के दिन मेरे दोस्त उसके लिए एक नन्हा सा कफ़न लाए थे। ये वही दोस्त थे जो कि उसके लिए ख़ूबसूरत जोड़ा लाते अगर वह बड़ी होती और ...
लेकिन वह इस दुनिया से चली गई। उसके पैदा होने से पहले ही लेडी डाक्टर भी उसे क़त्ल कर देना चाहती थी क्योंकि वह अपाहिज थी शुरू से ही ।
कैसी है यह दुनिया जो अपाहिजों को मार डालती है ?
शिक्षा और आधुनिकता ने लोगों को आखि़र किस मक़ाम पर लाकर खड़ा कर दिया ?
देखिए और सोचिए और हो सके तो बदलिए इस दुनिया को और उससे पहले अपनी सोच को

क्या अपाहिज भ्रूणों को मार देने के बाद भी डाक्टर को मसीहा कहा जा सकता है ? 'Spina Bifida'

युवा विचारक श्री अंकित ‘द रियल स्कालर‘ द्वारा भेजी गई एक रिपोर्ट

नयी दिल्ली: ब्लॉग जगत में नए नए खुले सुव्यवस्था सूत्रधार मंच , जो की एक विषय आधारित मंच है, में आज विश्वजीत जी का लेख लगाया गया | यह लेख भारत की शिक्षा व्यवस्था और समाज में गुरु के महत्त्व और स्वयं के श्रम के महत्त्व पर है | इसके पहले क्रांतिकारी देश भक्त का लेख "व्यवस्था परिवर्तन हो सकता है" प्रकाशित किया गया था | इस मंच में एक नयी परंपरा का प्रारंभ करते हुए हिन्दी के चिट्ठों की दुनिया में कहर के व्यक्तियों के भी लेख प्रकाशित करने प्रारंभ किये है और उसकी श्रंखला के अंतर्गत उच्चतम न्यायलय के अधिवक्ता देवेन्द्र शर्मा जी का एक लेख प्रकाशित किया है जो की शिक्षा व्यवस्था के समाज के लिए महत्त्व और भारत की शिक्षा व्यवस्था के महत्त्व को दर्शाता अहि |

यह मंच केवल विषय आधारित लेख ही प्रकाशित कर रहा है और सुव्यवस्था विषय  पर ही लेख प्रकाशित  किये जा रहे हैं , इस मंच से अब तक 10 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं और ऐसा बताया गया है  की कई विद्वान इस मंच में माध्यम से हिंदी चिट्ठों के जगत में प्रवेश करेंगे |
इन लेखों के लिंक नीचे दिए हैं
अपना उद्धार स्वयं करें
व्यवस्था परिवर्तन संभव है परन्तु
शिक्षा क्षेत्र में प्रस्तावित नयी कानूनी रचनाये ....

Thursday, July 21, 2011

अनशन को हिट करने के नायाब नुस्ख़े Political Tricks (Humour and witt)


क्या हैं वे नायाब नुस्ख़े ?
बता रहें हैं शैलेश गपोड़ी

देखिए और लुत्फ़ उठाइये

अनशन को हिट करने के नायाब नुस्ख़े Political Game -शैलेश गपोड़ी

 इस लेख पर तो हम अंजुम रहबर का यही शेर कह सकते हैं कि


सच बात मान लीजिए, चेहरों पे धूल है..

इल्ज़ाम आईनों पे लगाना फ़ुज़ूल है

Wednesday, July 20, 2011

प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया को आईना दिखाती एक पोस्ट

 मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों - मुझे इस ब्लॉग "ब्लॉग की खबरें" के संचालक कहूँ या कर्त्ताधर्त्ता भाई डॉ अनवर जमाल खान साहब ने मुझ नाचीज़ "सिरफिरा" को मान-सम्मान दिया हैं. उसका मैं तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ. मेरे लिये यहाँ ब्लॉग जगत में न कोई हिंदू है, न कोई मुस्लिम है, न कोई सिख और न कोई ईसाई है. मेरे लिये "सच" लिखना और "सच" का साथ देना मेरा कर्म है और "इंसानियत" मेरा धर्म है. चांदी से बने कागज के चंद टुकड़े मेरे लिये बेमानी है या कहूँ कि -भोजन के लिए जीवन नहीं किन्तु जीवन के लिए भोजन है. धन के लिए जीवन नहीं किन्तु जीवन के लिए धन है. तब कोई अतिसोक्ति नहीं होगी.
            भाई डॉ अनवर जमाल खान साहब ने मुझे सारी शर्तों व नियमों से पहले अवगत करके मुझे आप लोगों की सेवा करने का मौका दिया है. मैं अपने कुछ निजी कारणों से आपकी फ़िलहाल ज्यादा सेवा नहीं पाऊं. लेकिन जब-जब आपकी सेवा करूँगा. पूरे तन और मन से करूँगा. किसी ब्लॉग की या मंच की नियम व शर्तों में पारदशिता(खुलापन) बहुत जरुरी है. अगर आप यह नहीं कर सकते तब आप ब्लॉग या मंच के पाठकों से और उसके सहयोगियों से धोखा कर रहे हो. भाई खान साहब ने मेरी निजी समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए और उन्हें हल करने में मेरी व्यवस्ताओं को देखते हुए कहा कि -आपकी शैली मुझे पसंद है। आप ब्लॉग जगत की सूचना और पत्रकारिता के लिए आमंत्रित किए गए हैं ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ की ओर से। आप ब्लॉग जगत से जुड़ी कोई भी तथ्यपरक बात कहने के लिए आज़ाद हैं। आइये और हिंदी ब्लॉग जगत को पाक साफ़ रखने में मदद कीजिए। ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ का संपादक मैं ही हूं। आप इसके एक ज़िम्मेदार पत्रकार हैं। आप मुझे दिखाए बिना जब चाहे कुछ भी यहां छाप सकते हैं। यह मंच किसी के साथ नहीं है और न ही किसी के खि़लाफ़ है। यह केवल सत्य का पक्षधर है। हरेक विचारधारा का आदमी यहां ब्लॉग जगत में हो रही हलचल को प्रकाशित कर सकता है। आप अपनी समस्याओं के चलते एक भी पोस्ट न प्रकाशित करें. मगर आपकी नेक नियति का मैं कायल हूँ. इसलिए आप हमें यथा संभव योगदान दें. मुझे आपकी पोस्ट का बेसब्री से इन्तजार रहेगा.
             मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों-जब किसी तुच्छ से "सिरफिरा" को इतना मान-सम्मान दें और अपने ब्लॉग या मंच के उद्देश्यों से अवगत कराने के साथ ही अपने ब्लॉग भाई की निजी समस्याओं का "निजी खबरे या बड़ा ब्लोग्गर" कहकर मजाक ना बनाये. बल्कि उन्हें हल करने के लिये अपनी तरफ से किसी प्रकार की मदद करने के लिये कदम बढ़ाता है. तब ऐसे ब्लॉग या मंच से "सिरफिरा" तन और मन से न जुडे. ऐसा कैसे हो सकता है.  
                        मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों- आज मेरी पहली पोस्ट में कोई भी गलती हो गई हो तब पूरी निडरता से आलोचना करें. कृपया प्रशंसा नहीं. मेरी आलोचना करें. मैं यहाँ पर आलोचकों को प्राथमिकता दूँगा. मेरी प्रशंसा के लिए मेरे ब्लोगों की संख्या दस है. वहाँ अपनी पूर्ति करें. मैंने भाई खान साहब से जल्द ही एक पोस्ट डालने का वादा किया था. उस "कथनी" के लिए आपके सामने एक पोस्ट लेकर आया हूँ. किसी प्रकार की अनजाने में हुई गलती को "दूध पीता बच्चा" समझकर माफ कर देना. 
        बस अपनी बात यहाँ ही खत्म करता हूँ. फिर शेष तब .......जब चार यार(दोस्त, शुभचिंतक, आलोचक और तुच्छ "सिरफिरा") बैठेंगे.
         अब आप इन्तजार करें मेरी यहाँ अगली पोस्ट का जिसका उपशीर्षक (मैं हिंदू हूँ , मैं मुस्लिम हूँ  और मैं सिख-ईसाई भी हूँ) और प्रमुख्य शीर्षक "मेरा कोई दिन-मान नहीं है" इस पोस्ट से संबंधित क़ानूनी और तकनीकी जानकारी प्राप्त होने पर ही प्रकाशित होगी. इस पर शोध कार्य चल रहे हैं. थोड़ा सब्र करें.
               अरे ! मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों मैंने आपको कहाँ उलझा दिया? अपनी बातों में आप कभी भी "सिरफिरा" की बातों में न आया करें. इसकी बातों में आकर आपका भी "सिर" फिर जायेगा. देखा लिया न नमूना. अब इस पोस्ट के शीर्षक कहूँ या विषय पर आपको नहीं लेकर गया हूँ. जरा सब्र करो भाई! सब्र का फल मीठा ही मिलता है. अब चलें भी आइये मेरे हजूर, मेरे महबूब. कहीं देर ना हो जाए और सिरफिरा का दम निकल जाए. 
        आज की पोस्ट के शीर्षक के अनुरूप ही एक पोस्ट यहाँ पर इस "क्या हमारी मीडिया भटक गयी है ?" शीर्षक से प्रकाशित हुई है. जो ब्लॉग जगत के लिए एक विचारणीय भी है और कुछ करके दिखाने के योग्य भी है. इस ब्लॉग की संचालक डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी  के लेखन का ही जादू है. जो उनकी एक पोस्ट पर 510 टिप्पणियाँ तक प्राप्त होती है. जिन्हें अधिक्तर लोग 'ZEAL' के नाम से जानते हैं. इनकी पोस्ट को पढकर मेरी दबी हुई आंकाक्षा उबल खा गई. तब मैंने अपनी बात भी वहाँ टिप्पणी के रूप में चिपका दी और शायद उसके कारण मेरा ब्लॉग जगत पर आने का उद्देश्य भी पूरा हो सकता है. इनकी अनेकों पोस्टें विचार योग्य है और कुछ सोचने के लिए मजबूर कर देती है. इसके गुलदस्ते का एक फुल कहूँ या पोस्ट यह भी है. जिसका शीर्षक 'ZEAL' ब्लॉग का उद्देश्य - [शब्दों में ढले जिंदगी के अनुभव] यह है.  आप यहाँ जरुर जाएँ और जैसे अपने भगवान के घर में जाकर हाजिरी लगते हैं. वहाँ पर भी हाजिरी जरुर लगाकर आये और भाई डॉ अनवर जमाल खान साहब को ईमेल करके या यहाँ पर टिप्पणी करके जरुर बताये कि-इस नाचीज़ 'सिरफिरा-आजाद पंछी' को पिंजरे से आजाद करके कहूँ या भरोसा करके क्या कोई जुर्म किया है?
अब थोड़ा चलते-चलते फिर आपका सिर-फिरा दूँ. ऐसा कैसे हो सकता है शुरू में फिराया है और लास्ट मैं ना फिरारूं तो मेरे नाम की सार्थकता खत्म नहीं हो जायेगी. 

1. मैं पूरे ब्लॉग जगत से पूछता हूँ कि-क्या पूरा ब्लॉग जगत मैं यहाँ चलती आ रही गुटबाजी को खत्म करने के लिये कोई कार्य करना चाहेंगा या चाहता है? अगर इस बीमारी पर जल्दी से जल्दी काबू नहीं किया गया तब ब्लॉग जगत अपनी पहचान जल्दी ही खत्म कर देगा. अपने उपरोक्त विचार मेरी ईमेल (हिंदी में भेजे)  sirfiraark@gmail.com  पर भेजे. क्या मुस्लिम कहूँ मुसलमान सच नहीं लिख सकता हैं? क्या आप उसका सिर्फ उसके धर्म और जाति के कारण वहिष्कार करेंगे. आखिर क्यों हम हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई में बाँट रहे हैं? एक इंसान का सबसे बड़ा धर्म "इंसानियत" का नहीं होता है. इससे हम क्यों दूर होते जा रहे हैं?
2. अगर हिंदी ब्लॉग जगत के सभी ब्लोग्गर अपने एक-एक ब्लॉग को एक अच्छी "मीडिया-कलम के सच्चे सिपाही" के रूप में स्थापित करने को तैयार हो तो मैं 200 ब्लोग्गरों की यहाँ sirfiraark@gamil.com पर ईमेल(हिंदी में भेजे) आने पर उसके सारे नियम और शर्तों को बनाकर अपना पूरा जीवन उसको समर्पित करने के लिये तैयार हूँ. 
                     मैं आज सिर्फ अपनी पत्नी के डाले फर्जी केसों से परेशान हूँ. जिससे मेरे ब्लोगों को पढकर थोड़ी-सी मेरी पीड़ा को समझा जा सकता है. हर पत्रकार पैसों का भूखा नहीं होता, शायद कोई-कोई मेरी तरह कोई "सिरफिरा" देश व समाज की "सच्ची सेवा" का भी भूखा होता हैं, बस ब्लॉग जगत पर मेरी ऐसे पत्रकारों की तलाश है. यहाँ ब्लॉग जगत पर 1000-2000 शब्दों का लेख लिखकर या किसी ब्लॉग पर 15-20 वाक्यों की टिप्पणी करके सिर्फ चिंता करना जानते हो? 
                  मेरी माँ, बहन और बेटी के समान और मेरे पिता, भाई और बेटे के समान ब्लोग्गरों यह "सिरफिरा" आपको कह रहा है कि-"गुड मोर्निंग. जागो! सुबह हो गई" और "आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा.फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा करों तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनियां हमेशा याद रखें.धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य/कर्म कमाना ही बड़ी बात है. हमारे देश के स्वार्थी नेता "राज-करने की नीति से कार्य करते हैं" और मेरी विचारधारा में "राजनीति" सेवा करने का मंच है" मुझे तुम्हारे साथ और लेखनी कहूँ या कम्प्यूटर के किबोर्ड पर चलने वाली वाली दस उंगुलियों की जरूरत है. तुम्हारा और मेरा सपना "समृध्द भारत" पूरा ना हो तब कहना कि-सिरफिरा तूने जो कहा था, वो नहीं हुआ. थोड़े नियम और शर्तें कठोर है. मगर किसी दिन भूखे सोने की नौबत नहीं आएगी. अगर ऐसा कभी हो तो मुझे सूचित कर देना. अपने हिस्से का भोजन आपको दे दूँगा. मुझे अपने जैन धर्म के मिले संस्कारों के कारण भूखा रहने की सहनशीलता कहूँ या ताकत प्राप्त है. एक बार मेरी तरफ कदम बढाकर तो देखो. किसी पीड़ा से दुखी नहीं होंगे और किसी सुख से वंचित नहीं होंगे. यह "सिरफिरा" का वादा है आपसे. 
              बोर कर देने वाली इतनी लंबी पोस्ट के लिए क्षमा कर देना. आपसे वादा रहा अगली पोस्ट इतना बोर नहीं करूँगा. पहली पोस्ट है ना और अनाड़ी भी हूँ.

दोस्तों, मैं शोषण की भट्टी में खुद को झोंककर समाचार प्राप्त करने के लिए जलता हूँ फिर उस पर अपने लिए और दूसरों के लिए महरम लगाने का एक बकवास से कार्य को लेखनी से अंजाम देता हूँ. आपका यह नाचीज़ दोस्त समाजहित में लेखन का कार्य करता है और कभी-कभी लेख की सच्चाई के लिए रंग-रूप बदलकर अनुभव प्राप्त करना पड़ता है. तब जाकर लेख का विषय पूरा होता है. इसलिए पत्रकारों के लिए कहा जाता है कि-रोज पैदा होते हैं और रोज मरते हैं. बाकी आप अंपने विचारों से हमारे मस्तिक में ज्ञानरुपी ज्योत का प्रकाश करें. 
एक बार मेरी orkut, facebook प्रोफाइल देख लें, उसमें लिखी सच्चाई की जांच करें-फिर हमसे सच्ची दोस्ती करने की खता करें. मुझे उम्मीद है धोखेबाजों की दुनियां में आप एक अच्छा दोस्त का साथ पायेगें और निराश नहीं होंगे.

आपको ज़रूर पसंद आएगा Maza

किशोर पारीख जी का ब्लॉग


मैंने उनके ब्लॉग पर यह पढ़ा
1- बाजार में हमें पीटने को सारे बंदे चिपट गये
पत्नी ने काम वाली बाई को अपनी पुरानी साड़ी दी थी
और हम उसे अपनी पत्नी समझ के पीछे से लिपट गये


2- धरती पे तुम, आसमाँ में तुम, पूरे जहाँ में तुम,
फिज़ाओं में तुम, घटाओं में तुम, हवाओं में तुम,
ठीक ही कहा है किसी ने
बुरी आत्मा का कोई ठिकाना नही होता

 

3- एक लड़की से मैने रोने का कारण पूछा तो वो बोली
मेरे
पिता चाइनीज थे बेचारे भरी ज़वानी मे हम सबको छोड़ कर चले गये
बस
इसी बात का गम है मैने कहा चुप हो जा बच्ची
चाइना
का माल तो चलता ही कम है

आज मूड आफ़ सा था ब्लॉग जगत की घटना के कारण, सोचा कि दिल बहलाया जाए और इस ब्लॉग पर ऐसा ‘सौदा‘ काफ़ी है।
आप भी देखिए
http://udghoshak.blogspot.com/

एक अच्छी सी टिप्पणी चाहिए , देंगे क्या ? Bad Situation

आज आदरणीय रूपचंद शास्त्री ‘मयंक‘ जी की रचना पढ़ी। उसकी मेन थीम किसी बेवफ़ा के हाल-अहवाल का चित्रण करना है।
http://uchcharan.blogspot.com/2011/07/blog-post_20.html
रचना पढ़कर हमने कहा कि
आपकी रचना अपने आप में सुंदर है।
...लेकिन आदमी हमेशा बेवफ़ा नहीं होता बल्कि कभी कभी वह हालात का मारा हुआ या किसी ग़लत दोस्त के फेर में आकर ग़लत फ़ैसले लेने वाला भी होता है यानि कि बहुत सी ऐसी सिचुएशन्स हैं कि आदमी बेवफ़ा न हो और उससे वफ़ा की आशा रखने वाले की अपेक्षा पूरी न हो पा रही हो।
हिंदुस्तानी फ़िल्मों में ऐसी बहुत सी सिचुएशन्स डिस्कस की गई हैं। डिस्कस क्या बल्कि फ़िल्माई गई हैं।
पता चला कि हीरोईन त्याग की मूर्ति है और हीरो उसे ग़लत समझ रहा है। इसीलिए मुझे फ़िल्म का क्लाईमेक्स हमेशा से पसंद है क्योंकि उसमें ग़लतफ़हमियों का अंत हो जाता है।
राजा हिन्दुस्तानी का नाम भी इस विषय में एक अच्छा नाम है। उसके गाने भी काफ़ी लोकप्रिय हैं।
ख़ैर, वह जीवन ही क्या जिसमें सब रस न हों ?
कवि को तो सभी रसों को अभिव्यक्ति देनी पड़ती है।
आपकी रचना सचमुच अच्छी है।

एग्रीकटर का पेज नीचे को सरकाया तो देखा कि वंदना जी भी एक पोस्ट पेश कर रही हैं और उसमें बता रही हैं कि बेवजह ग़लतफ़हमियां पैदा हो रही हैं।
http://redrose-vandana.blogspot.com/2011/07/blog-post_20.html
उनकी पोस्ट पढ़कर हमने उन्हें नीति और धर्म उपदेश दिया। हमने कहा कि
वंदना जी ! आज आपका ईमेल मिला कि ‘मुझे अपने साझा मंच से हटा दीजिए‘। पढ़ते हम खटक गए कि आज ज़रूर वंदना जी किसी वजह से अपसैट हैं और आपसे हमन पूछा भी कि ऐसी हमसे क्या ख़ता हो गई है , बताइये तो सही ?
आपकी पोस्ट पढ़ी तो दिल हमारा भी दुखी हो गया और यह देखकर तो वाक़ई दिल बहुत ही ज़्यादा दुखी हो गया कि विवाद के पीछे कोई बहुत बड़ी बात भी तो नहीं है बल्कि केवल ‘परिस्थिति की विडंबना‘ है। इसने यह कह दिया तो उसने यह बता दिया और उन्होंने यह समझ लिया।
साहित्यकार संवेदनशील कुछ ज़्यादा ही होते हैं। इसीलिए यह प्रॉब्लम पैदा हुई है लेकिन शास्त्री जी को आप भी जानती हैं और शास्त्री जी भी आपको जानते हैं कि दोनों ही अपने आप में क्या हैं और एक दूसरे के लिए क्या भावनाएं रखते हैं ?
इस समय मुखर होने के बजाय मौन होना ही नीति और धर्म है। आप धार्मिक प्रवृत्ति ही महिला हैं।
आशा है कि ध्यान देंगी। जज़्बात में सदा अति हुआ करती है।
मैं मालिक से आप सभी संबंधित लोगों के लिए शांति और दया की कामना करता हूं। वह आपके संग रहे और आपका शोक हरे।

आमीन !!!
अब आप बताइये कि क्या दोनों की पोस्ट पर इससे बेहतर कोई और टिप्पणी संभव है ?
अगर संभव है तो दोनों लिक्स पर जाएं और इससे बेहतर टिप्पणी देकर दिखाएं, मैं चैलेंज नहीं कर रहा हूं।

लेकिन एक बात और पेश आई जब मैं वंदना जी की पोस्ट पर कमेंट पढ़ रहा था तो वहां भाई एम. सिंह का कमेंट भी मिला। जनाब एक लाइन का कमेंट देने के बाद तुरंत ही दो लाइन में अपनी नई पोस्ट का लिंक भी वहां दे रहे हैं।
ये लिंक देने वाले भी न, बिल्कुल माफ़ नहीं करते किसी पोस्ट को।
यह भी नहीं देखते कि पोस्ट लेखिका तो कह रही है मेरा दिल ही ब्लॉगिंग से उचाट हो रहा है और लिंक पेश करने वाले भाई अपना हुनर दिखा रहे हैं।
आप भी उनकी टिप्पणी पढ़िए।
उदासी के सीन चल रहे थे कि अचानक ही कॉमेडी पैदा हो गई।
उनकी नई पोस्ट का लिंक भी हम यहां दे रहे हैं, उसे भी ज़रूर पढ़ा जाए।

अन्‍ना को मनमौन की जवाबी चिट्ठी

 

डिस्चार्ज होकर हस्पताल से सकुशल लौट आई हैं रश्मि प्रभा जी Good News

उन्होंने अपनी ईमेल के द्वारा सूचित किया है कि
जी मैं डिसचार्ज होकर आ गई हूँ ... किडनी में छाले पड़ गए थे और काफी स्वेल है ... आपके माध्यम से बहुत सी दुआएं मिलीं .
यह एक ख़ुशख़बरी है जिसे सबसे पहले सार्वजनिक कर रहा है ‘ब्लॉग की ख़बरें‘
जो कि सबसे पहले आपको सूचना पहुंचाता है और फिर उसे अपडेट भी करता है।
हिंदी ब्लॉगर्स का अपना मंच ।
हमने इसी मंच से आपको बताया था कि

लेडी रचना और डा. अमर कुमार के बीच Against Dress Code For Women

खनखना रही हैं शब्दों की शमशीरें।
शमशीर का मतलब है तलवार।
ये तलवारें आभासी हैं लेकिन फिर घायल बहुत करती हैं।

डा. अमर कुमार जी औरतों के नाभि प्रदर्शन पर और पोर्न साइट्स के मुताल्लिक़ विचार रखते हुए कह रहे हैं कि
Ladies are advised about certain norms...
because fair sex is more vulnerable to unfair eyes !
Who says.. Indian attire is more graceful ? Have a look at low back or backless blouses.. naval showing tightly worn sarees, exposing every detais of hip's contour.
Till the devil dwells in human minds, porn sites are hard to go... better desist visiting there and block those links !

approved by the blog author ;-)

http://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html?showComment=1311107856930#c6871591586221328475
उन्होंने इंग्लिश में इसलिए कहा है क्योंकि रचना जी हिंदी जितनी ही इंग्लिश भी अच्छी समझती हैं और बात में दम सा भी लगता है औसत अक्ल के लोगों को।

दरअसल इस वैचारिक जंग की शुरूआत तो लेडी रचना ने ब्लॉग जगत में बहुत दिनों से कर रखी है कि औरतों को कोई सलाह न दी जाए कि उसे क्या पहनना है ?
जहां भी उन्हें ऐसी सलाह देता हुआ कोई ब्लॉगर नज़र आ जाता है तो वे भिड़ जाती हैं। इसी क्रम उन्होंने मासूम साहब की पोस्ट पर ताबड़तोड़ कमेंटीय धावा बोल दिया और मासूम साहब उन्हें समझाते ही रह गए कि यह लेख तो मैंने उन औरतों को नज़र में रखकर लिखा था जिन्हें अपनी आबरू का ख़याल अपनी जान से भी ज़्यादा होता है। देखिए एक घनघोर शब्द युद्ध यहां पर
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

वह कौन सा ब्लॉगर कवि है ?

जो यह कहता है कि जैसे औरत अधूरी है जब तक कि वह ‘मां‘ न बन जाए ऐसे ही साहित्यकार भी अधूरा है जब तक कि उसकी रचनाओं को सम्मानित न किया जाए।

क्या कहा कि आप नहीं जानते ?

अरे भाई यह वही ब्लॉगर कवि हैं जिन्होंने बाप के बारे में एक सुन्दर सी कविता लिखी है। देखिए उनकी कविता
:

पि‍तृ महि‍मा

माता कौ वह पूत है, पत्नी कौ भरतार।
बच्चन कौ वो बाप है, घर में वो सरदार।।1।।

पालन पोषण वो करै, घर रक्खे खुशहाल।
देवे हाथ बढ़ाय कै, सुख-दु:ख में हर हाल।।2।।

मैया कौ अभि‍मान है, माँग भरे सि‍न्दूर।
दादा दादी हम सभी, उनसे रहें न दूर।।3।।

अपनौ अपनौ काम कर, देवें जो सहयोग।
पि‍ता न पीछे कूँ हटे, कैसो हु हो संजोग।।4।।

कंधे सौं कंधा मि‍ला, जा घर में हो काज।
पि‍ता कमाये न्यून भी, रूके न कोई काज।।5।।

प्रति‍नि‍धि‍त्व घर कौ करै, जग या होय समाज।
बंधु बांधवों में रहे, बन के वो सरताज।।6।।

वंश चले वा से बढ़ै, कुल कुटुम्ब कौ नाम।
मात पि‍ता कौ यश बढ़ै, करें सपूत प्रणाम।।7।।

परमपि‍ता परमात्मा, जग कौ पालनहार।
घर में पि‍ता प्रमान है, घर कौ तारनहार।।8।।

बेटी खींचे जनक हि‍य, बेटा माँ की जान।
बने सखा जब पूत के, भि‍ड़ें कान सौं कान।।9।।

मातृ-पि‍तृ-गुरु-राष्‍ट्र ऋण, कोउ न सक्‍यो उतार।
जीवन मे इन चार की, चरणधूलि‍ सि‍र धार।।10।।

‘आकुल’ महि‍मा जनक की, जि‍ससे जग अंजान।
मनुस्मृति‍ में लेख है, सौ आचार्य समान।।11।।

उनकी दीगर रचनाएं देखने के लिए आपको जाना होगा लिंक पर :
http://saannidhya.blogspot.com/

Tuesday, July 19, 2011

क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?

ग़र्ज़ यह कि यह मात्र ऐसी चर्चा नहीं है जिसमें कि केवल लिंक का ही चर्चा हो बल्कि इसका कान्सेप्ट गोष्ठी, बैठक और चैपाल का है। एक ऐसे पारिवारिक समारोह का ख़याल है यह जिसमें हम एक दूसरे की भावनाओं को भी महसूस कर सकें। ब्लॉगर्स मीट अगर ब्लॉग पर ही आयोजित हो तो शामिल होना सबके लिए मुमकिन है।
‘ब्लॉगर्स मीट वीकली‘ के इस सिलसिले की पहली पेशकश सोमवार को मन्ज़रे आम पर आ रही है।
कौन करेगा इस समारोह का संचालन ?
यह एक सस्पेंस है।
आपको यह ख़याल कैसा लगा ?
क्या इसे एक सकारात्मक और रचनात्मक काम का नाम दिया जा सकता है ?

क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
पूरी तफ़्सील जानने के लिए देखें

ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly

रश्मि प्रभा जी हस्पताल में

ईमेल से प्राप्त सूचना के आधार पर कहा जा सकता है कि हिंदी ब्लॉग जगत की मशहूर साहित्यकार और ‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ की मुख्य निरीक्षिका रश्मि प्रभा जी आज हस्पताल में दाखि़ल हो चुकी होंगी। उनकी किडनी में स्टोन है। उसी आप्रेशन होना है।
हालांकि हमने उनसे कहा कि दवाओं के प्रभाव से भी किडनी से स्टोन निकाला जा सकता है। हमने छोटे-बड़े कितने ही स्टोन दवा के असर से निकाल दिए हैं। आपका भी निकल जाएगा लेकिन उन्होंने कहा कि किडनी डेमेज होने का ख़तरा है। बहरहाल एक-एक लाइन लिखकर ही बात हो पाई।
दरअसल उन्होंने बचपन से जवानी तक का परिचय मांगा था हमसे। उसी से बात निकलते-निकलते यहां तक बात पहुंची।

ख़ैर उनकी ख़ैरियत के लिए हम भी दुआ करते हैं और आप भी दुआ कीजिए।

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

5- इंसान का परिचय Introduction
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
http://shakuntalapress.blogspot.com/

13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

24- कुरआन का चमत्कार

25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

26- कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो Greatness of Sita Mata

27- राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

28- लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

30-
अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
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साहित्य की ताज़ा जानकारी

1- युद्ध -लुईगी पिरांदेलो (मां-बेटे और बाप के ज़बर्दस्त तूफ़ानी जज़्बात का अनोखा बयान)
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

2- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

3- आतंकवादी कौन और इल्ज़ाम किस पर ? Taliban
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/taliban.html

4- तनाव दूर करने की बजाय बढ़ाती है शराब
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

5- जानिए श्री कृष्ण जी के धर्म को अपने बुद्धि-विवेक से Krishna consciousness
http://vedquran.blogspot.com/2011/07/krishna-consciousness.html

6- समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/rape.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/no-voilence.html

9- धर्म को उसके लक्षणों से पहचान कर अपनाइये कल्याण के लिए
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

11- विश्व शांति और मानव एकता के लिए हज़रत अली की ज़िंदगी सचमुच एक आदर्श है
http://dharmiksahity.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/07/terrorism-or-peace-what-is-islam.html

14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
http://kuranved.blogspot.com/2010/10/real-mission-of-christ-anwer-jamal.html

15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
http://techaggregator.blogspot.com/

18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

23- दिल तो है लँगूर का

24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

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